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पारिवारिक और वकील के सुनियोजित साजिश के तहत मेरा नामांकन हुआ रद्द- कुंवर अखिलेश सिंह पूर्व सांसद

 पारिवारिक और वकील के सुनियोजित साजिश के तहत मेरा नामांकन हुआ रद्द- कुंवर अखिलेश सिंह पूर्व सांसद



वीडियो में कुंवर अखिलेश सिंह ने बावजूद इसके अपने भाई के प्रति जो स्नेह और प्यार जताया वह मुन्ना सिंह को सोचने पर मजबूर कर देगा?


मोदी पर आरोप लगाना पूरी तरह गलत था मैं उनसे छमा मागता हूं – अखिलेश


हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर


नौतनवा महराजगंज नौतनवां का कुंवर परिवार पूरे जनपद में भाई-भाई के प्रेम के लिए एक बेजोड़ मिसाल था। लेकिन राजनीति ने आज ऐसा पासा पलटा कि बड़े भाई ने अपने छोटे भाई पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे नामांकन पत्र को खारिज कराने में मेरे परिवार और मेरे वकील की सुनियोजित साजिश थी। इस बात को लेकर आज एक प्रेस कांफ्रेंस में कुंवर अखिलेश सिंह का छलका दर्द लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। हालांकि कि कुंवर अखिलेश सिंह के प्रेस कांफ्रेंस में अपने भाई के प्रति प्यार जताते हुए कुंवर अखिलेश सिंह थोड़ी देर के लिए जरूर भावुक हो गए ऐसा उनके चेहरे से झलक रहा था। निश्चित तौर पर आज अपने प्रेस कांफ्रेंस में कुंवर अखिलेश सिंह ने अपने छोटे भाई के प्रति बड़ा दिल दिखाया है जिसकी तमाम सामाजिक लोगों द्वारा सराहना भी की जा रही है। जहां अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुन्ना सिंह ने गठबंधन प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी को वोट देने की अपील करते हुए वीडियो में नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कुंवर अखिलेश सिंह अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीरेंद्र चौधरी के खिलाफ बोलते हुए वीडियो में नजर आ रहे हैं। कुंवर अखिलेश सिंह कह रहे हैं कि मैं किसी भी कीमत पर वीरेंद्र चौधरी का समर्थन नहीं करूंगा। अखिलेश यादव से भी मेरे रास्ते अलग हो गए हैं। मैंने मोदी जी पर आरोप लगाया था की उनके द्वारा मेरा नामांकन पत्र रद्द कराया गया है वह पूरी तरह बेबुनियाद है मैं मोदी जी से छमा चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में ही मुझे पता चल गया कि मेरा नामांकन पत्र रद्द कराने में मेरे परिवार और मेरे वकील की एक सुनियोजित साजिश हैं। मैं भाजपा को तो समर्थन नहीं करूंगा पर गठबंधन प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी के लिए भी वोट नहीं मांगूंगा। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आज भी वीरेंद्र चौधरी कहीं लड़ाई में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस गठबंधन प्रत्याशी का समर्थन गुंडे और माफिया कर रहे हों मरने तक मैं ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करूंगा।


बता दें कि नौतनवां के कुंवर बंधुओं में क्या वाकई में दरार आयी है । क्या वाकई महराजगंज जिले के नौतनवां निवासी कुंवर बंधुओं के बीच राजनीतिक टकराव है या फिर ये महज दिखावा है। ये सवाल उठ खड़ा है दोनों भाईयों के ताजा बयानों के बाद राजनीति किस करवट बैठेगी यह तो आने वाला समय बताएगा।


नौतनवां की राजनीति में एक समय सफल रहने वाले कुंवर बंधुओं के सितारे लंबे वक्त से गर्दिश में चल रहे हैं। वजह है एक के बाद एक ताबड़तोड़ चुनावी हार।


इतना तक तो गनीमत था लेकिन घर के अंदर का राजनीतिक झगड़ा अब बीच सड़क पर आ गया है। दोनों भाईयों कुंवर अखिलेश सिंह और कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने राजनीतिक राहें अलग होने का ऐलान बाकायदा अलग-अलग पत्रकार वार्ता कर किया।


स्थानीय लोगों का एक बड़ा वर्ग इसे सोचा-समझा दिखावा बता रहा है। हकीकत क्या है इसकी असलियत तो आने वाले दिनों में साफ होगी लेकिन चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों भाईयों ने कहा कि घर के अंदर व्यक्तिगत तौर पर दोनों एक हैं लेकिन राजनीतिक तौर पर अलग हैं।


जब लोगों से इसकी पृष्ठभूमि के बारे में पूछा गया तो पता चला कि पिछले 20 वर्षों से कुंवर अखिलेश सिंह के राजनीतिक सितारे घनघोर अंधेरे के शिकार हो गये हैं। बीते 20 साल में उन्होंने एक भी चुनाव नही जीता है। उन्हें जीवन में 1989 और 1991 में दो बार विधायक और सिर्फ एक बार सांसद बनने का मौका मिला वो भी 35 साल पहले।1999 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव मात्र 10,544 वोटों से जीता था। इसके बाद 2004 और 2014 का दोनों चुनाव कुंवर ने समाजवादी पार्टी की राज्य में सरकार होते हुए लड़ा लेकिन दोनों ही बार वे बुरी तरह हारे। इसके बाद सपा ने 2019 में भी इन्हें मौका दिया तब सपा और बसपा दोनों का गठबंधन था लेकिन ये भाजपा से बहुत बुरी तरह 3 लाख 40 हजार 424 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हार गये।


2009 में सपा ने इन्हें टिकट देने लायक ही नहीं समझा। 2024 में किसी दल से इन्हें टिकट नहीं मिला और इनके एड़ी-चोटी का जोर लगा देने के बावजूद ये सही से अपना नामांकन तक निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में दाखिल नहीं कर पाये और इनका पर्चा जांच के दौरान खारिज हो गया। नामांकन खारिज होने के पीछे जिले भर में तरह-तरह की चर्चाएं तो थीं ही, इसी बीच इन्होंने शनिवार को अपने सगे छोटे भाई पर पर्चा खारिज होने का सार्वजनिक तौर पर आरोप मढ़ दिया। सच्चाई क्या है ये तो दोनों भाई जानें।


इधर कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में बहुत बार विधायकी का चुनाव लड़ा लेकिन जीत नसीब हुई सिर्फ एक बार। 1996, 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 लगातार 6 बार विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले मुन्ना सिंह 2012 को छोड़ हर बार चुनाव में बुरी तरह पराजित हुए और जनता ने इन्हें खारिज कर दिया। हद तो तब हो गयी जब ये सिटिंग विधायक होते हुए 2017 में विधान सभा का चुनाव एक निर्दलीय प्रत्याशी से बुरी तरह हार बैठे। यहां चौंकाने वाली बात यह रही कि 2017 में भाजपा की प्रचंड लहर थी और पूरे राज्य में भाजपा ने 325 सीट जीती थीं और ये अपना चुनाव भाजपा से नहीं बल्कि एक निर्दलीय प्रत्याशी से हारे थे।


कुल मिलाकर इन दोनों भाईयों की राजनीतिक राहें जिस तरह से जुदा हुईं हैं उस पर प्रथम दृष्टया लोग यकीन नहीं कर रहे हैं और इसे सोची-समझी रणनीति मान रहे है

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