प्रदेश में 13 हजार अवैध मदरसे बनाने के लिए हवाला नेटवर्क से आई रकम, SIT ने शासन को सौंपी रिपोर्ट
सार
SIT की जांच में खुलासा हुआ है कि मदरसों की रकम हवाला नेटवर्क के जरिये आई और धड़ल्ले से मदरसों का निर्माण कर दिया गया। विदेशी फंडिंग के स्रोत को देखते हुए इस मामले पर ED की भी नजर है
हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
लखनऊ महराजगंज उत्तर प्रदेश में पिछले 17 वर्षों में धुआंधार अवैध मदरसे बने हैं। इनमें से कई नेपाल व बिहार सीमा पर संवेदनशील इलाकों में बने हैं। एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित एसआईटी ने प्रदेश में चिह्नित लगभग 13 हजार मदरसों को बंद कराने की सिफारिश की है। एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि मदरसों की रकम हवाला नेटवर्क के जरिये आई और धड़ल्ले से मदरसों का निर्माण कर दिया गया। विदेशी फंडिंग के स्रोत आतंकी संगठनों से जुड़े होने की प्रबल संभावना को देखते हुए इस मामले पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी नजर है। वह भी इसकी जांच शुरू कर सकता है।
प्रदेश सरकार के आदेश पर गठित इस तीन सदस्यीय कमेटी में निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को भी शामिल किया गया था। शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के स्तर से कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी की जांच में पता चला कि लगभग 13 हजार मदरसे बिना मान्यता के संचालित हैं। मान्यता न होने से वे किसी सरकारी विभाग की निगरानी में भी नहीं हैं और न ही वे कोई निर्धारित मानक पूरे करते हैं। इन मरदसों के पास न तो खेलकूद का मैदान है और न ही आय-व्यय का कोई हिसाब है।
एसआईटी ने जांच में पाया कि मदरसों ने चंदे से संचालन की बात तो कही लेकिन चंदे का कोई हिसाब नहीं दे पाए। रकम न हो उनके बैंक खातों में मिली और न ही लाखों-करोड़ों का निर्माण आखिर कैसे कराया गया, यह भी नहीं पता चल सका। संदिग्ध विदेशी फंडिंग पर भी कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला। ऐसे में ज्ञात हुआ है कि इन मदरसों को हवाला के जरिये पैसा पहुंचाया गया। हवाला से रकम पहुंचाने का क्या मकसद था। आखिर यह आय कहां से आई? इन मदरसों को नेपाल-भारत सीमा पर बनाने का क्या मकसद था। प्रदेश का गृह विभाग इन पर विचार कर रहा है।
सिद्धार्थनगर में सबसे ज्यादा 800 अवैध मदरसे
आशंका यह भी जताई गई है कि इस पूरे रैकेट में आईएसआई या किसी विदेशी खुफिया एजेंसी का भी हाथ हो सकता है। गृह विभाग जल्द ही आयकर और ईडी के जरिये जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, जांच में श्रावस्ती में 400, बहराइच में 600, महराजगंज में 550, सिद्धार्थनगर में 800, गोंडा में 500 और देवरिया में लगभग 350 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले हैं। ये मदरसे में संवेदनशील क्षेत्रों में हैं। जांच के क्रम में एसआईटी ने इन मदरसों से विदेशी फंडिंग और उनकी आय-व्यय का विवरण मांगा था, लेकिन वे उपलब्ध नहीं करा सके।
बच्चों का होता था शारीरिक शोषण
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि कुछ मदरसों में बच्चों का शारीरिक शोषण होता है। जांच में पता चला कि कुल 23 हजार मदरसों में से पांच हजार के पास अस्थाई मान्यता है। इससे पहले एटीएस की जांच में मदरसों को लगभग 100 करोड़ रुप फंडिंग होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने मदरसों की गहनता से जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।