संविधान विरोधी ताकतो को मुंहतोड़ जबाब देंगे- जे पी शास्त्री
अयोध्या 05 मार्च
संविधान विरोधी ताकतो के मंसूबो को हम सफल नहीं होने देगे संविधान विरोधियों को मौलिक अधिकार पार्टी मुंहतोड़ जवाब देगी।
अपने 69 वें जन्मदिन को बड़े सादगी के साथ मनाते हुए मौलिक अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जेपी शास्त्री जी ने पदाधिकारियो को संकल्प दिलाते हुए उक्त बातें कही।
आगे उन्होने पदाधिकारियो को संविधान की बात जन जन तक पहुंचाने के लिए दिशा निर्देश देते हुए कहा कि जनता को ये जाकर बताओ कि
देश की असली मालिक जनता है,सांसद,विधायक जनता के प्रतिनिधि है और अधिकारी व कर्मचारी जनता के नौकर है
भारतीय संविधान में कुल 22 भाग है जिसमें भाग 1 से भाग 4 तक जनता जनार्दन के हक अधिकार व विकास के लिए है तथा भाग 5 भाग से 22 तक सरकार संचालन के लिए है।
प्रस्तावना में देश की मालिक जनता को सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय देता है।
परन्तु 75 सालों में सत्तारूढ़ रही सरकारों ने सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय के लिए नहीं कार्य किया?
क्या समता ,स्वतंत्रता ,न्याय, बंधुत्व पर आधारित संविधान में निहित बराबरी का दर्जा सभी महिला पुरुष को मिल पाया?
क्या एसटी ,एससी ,ओबीसी को आज तक सामाजिक न्याय मिला।
आर्थिक न्याय:-चंद्र सेन गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार आज देश की 77%जनता ₹20 रोज पर गुजारा करने को मजबूर है। जबकि आज राजनेता मालामाल ,नौकरशाह खुशहाल और जनता फटेहाल है। इसलिए आज तक जनता को आर्थिक न्याय नहीं मिल पाया।
राजनैतिक न्याय:-15 प्रतिशत अनुसूचित और 7.50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोगों को राजनीतिक क्षेत्र लोकसभा/विधानसभा, शिक्षा और नौकरी में तो जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिल गया। किंतु राज्यसभा और विधान परिषद मैं उन्हें आरक्षण नहीं मिला।
वहीं पर 40.5% नाई, कुम्हार, कहार,लोहार ,चौरसिया, पाल, विश्वकर्मा प्रजापति केवट निषाद बढ़्ई, तेली, तमोली भूज, बारी, मौर्य, कुशवाहा , काछी, चौहान, लोनिया, बरई, पटवा, चूड़िहार, भर, राजभर खरवार आदि प्रजाजातियां आज तक राजनीति के क्षेत्र में शून्य हैं , इन्हें केवल दाल में नमक की भांति स्वाद बढ़ाने के लिए वोट बैंक के लिए 1-2 की संख्या में एमएलसी के रूप में मनोनीत किया है जबकि जनसंख्या के अनुपात में विधानसभा में इन्हें कम से कम 163 सीटें तथा लोकसभा में 32 सीटें आरक्षित की जानी चाहिए।
किंतु आज तक ऐसा नहीं किया गया जिससे सबसे बड़ी संख्या वाली यह अतिपिछडी जाति विकास की कड़ी से मीलों दूर है। इस प्रकार से राजनीतिक क्षेत्र में भी इन्हें न्याय नहीं मिला।
संविधान का भाग(1)
============== :-अनुच्छेद ( 1) से (4) तक देश का नाम:-
It is India that is Bharat.
यह इंडिया है जिसे भारत कहा जाता है।
संविधान भाग (2):-
= ===============
अनुच्छेद (5)से (11) तक नागरिकता:-भारतीय संविधान में यह लिखा हुआ है कि 26 जनवरी 1950 भारतीय संविधान लागू होने के समय से भारत में निवास करने वाले सभी लोग भारत के नागरिक होंगे तो भाजपा सरकार नागरिकता के लिए CAB, CAA, NRC,NPR क्यों ला रही है ?
संविधान भाग ( 3 )
अनुच्छेद(12) से अनुच्छेद (35) तक
मौलिक अधिकार:-मुख्य रूप से 7 मौलिक अधिकार थे जिसमें से सम्पत्ति रखने का मौलिक अधिकार पं0 मोरार जी देशाई ने 1978 में समाप्त कर अनुच्छेद (300क) में इसे कानूनी अधिकार में बदल दिया । जिसके आधार पर गवर्नमेंट किसी भी समय आप को नोटिस देकर 24 घंटे में जमीन खाली करा सकती है चाहे आपके पास रहने के लिए आवास हो या ना हो।
15 (4) शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन को दूर करना 16( 4) पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करना इसके बावजूद 52% ओबीसी को 27% आरक्षण प्रदान किया गया इन्हे पर्याप्त आरक्षण जानबूझ कर नही दिया गया
अनुच्छेद 340 के तहत गठित काका कालेलकर उसके बाद मंडल आयोग की आधी अधूरी लागू कर 52% आबादी को 27 % आरक्षण देकर आपस में लडाने का काम किया गया क्योंकि आयोग के सम्मानित सदस्य यल आर नायक ने कहा था कि 27% आरक्षण को 15% मध्य पिछड़ा वर्ग कृषक जातियां और 15% अति पिछड़ा वर्ग पेशेवर जातियों को पृथक किया जाय । क्योंकि जिस तरह तालाब की बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को निगल जाती हैं उसी प्रकार पृथक आरक्षण ना होने पर मध्य पिछड़े वर्ग की सबल जातियां अति पिछड़े वर्ग की कमजोर जातियों के हक को हड़प लेंगी।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र में 52% ओबीसी की जनसंख्या में 26.4 4 मध्य पिछड़ा वर्ग 25.50% अति पिछड़ी जातियां हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में मध्य पिछड़ा वर्ग 11.50 प्रतिशत और अति पिछड़ा वर्ग 40. 50 प्रतिशत है।
धूर्त मोदी की भाजपा सरकार ने अगड़ा वर्ग की ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य जातियों को संविधान में आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का कोई अनुच्छेद ना होने पर भी सवर्णों के लिए 10% आरक्षण 3 दिन में पास करा कर लागू कर दिया जबकि साथी छेदी लाल साथी आयोग की रिपोर्ट, रोहणी आयोग, सामाजिक न्याय समिति आदि रिपोर्ट के बाद भी आज तक पृथक आरक्षण पिछड़ी जातियों के हित में नहीं लागू हो पाया।
मौलिक अधिकार पार्टी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी की बात करती है और साढ़े 40% अति पिछड़ी जातियों के हक और अधिकार को लागू करने के लिए दृढ़ संकल्प है।
संविधान भाग ( 4) राज्य के नीति निर्देशक तत्व:-
अनुच्छेद 36 से लेकर अनुच्छेद 51तक जनता के आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक अनुच्छेद हैं। अनुच्छेद 39( क) से (ड. )तक यदि कोई सरकार ईमानदारी से लागू कर दे तो देश की गरीबी और भुखमरी समाप्त हो जाएगी।
39(क )-सभी महिला पुरुष को जीविकोपार्जन का पर्याप्त साधन राज्य सरकार उपलब्ध कराएं।
39(ख)-प्राकृतिक संपदा जल जंगल जमीन पर जनता का समान अधिकार हो यानी जमीन का बंटवारा।
अनुच्छेद 243 छ(ख) के अनुसार प्रति 10 वर्ष पर जनगणना और प्रति 10 वर्ष पर चकबंदी गांव में और हक बंदी शहरों में किया जाए। जिससे भूमिहीनों एवं आवास हीनों को जमीन दी जा सके।
39(ग) -वित्त का समान वितरण-आज की तारीख में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय रु 17000 है जिसमे से कम से कम 4000/- रुपये प्रतिमाह सीधे मतदाता के खाते में जाना चाहिए क्योंकि देश की मालिक जनता है मतदाता ही असली सरकार है और अधिकारी कर्मचारी नौकर हैं।
39(घ)-समान कार्य, समान वेतन
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सरकारी, गैर सरकारी ,प्राइवेट संस्थानों में समान कार्य का समान वेतन होना चाहिए।
अनुच्छेद 39 (ड.)-सुकुमार और कर्मकार के भरण पोषण की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी आज तक जनता के हक में सत्तारूढ़ किसी भी सरकार ने अनुच्छेदों को लागू करने को कौन कहे। किसी ने छुआ तक नहीं।
इतना बताने के बाद मौलिक अधिकार पार्टी से लोगों का जुड़ाव तो होगा ही साथ-साथ संविधान विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब जनता खुद दे देगी अंत सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मजबूती के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा।