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कुशीनगर। ईद उल फितर पाक महीने रमजान के खत्म होने के बाद अदा की जाती है

 किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का नाम ही  ईद है:--- साहिल अहमद


इस्लाम में ईदुल फितर त्यौहार की बड़ी है अहमियत ् खालिद सिद्दिकी

कुशीनगर। ईद उल फितर पाक महीने रमजान के खत्म होने के बाद अदा की जाती है, रमजान के पूरे महीने में मुसलमान खासतौर से अल्लाह की बारगाह में सजदों,तिलावते कुरान, नफ्ल नमाज पढ़ने और साथ ही साथ दिल खोलकर के गरीबों यतीमों और मिस्कीनों की मदद करने का नेक काम करते हैं। उक्त बातें समाजिक कार्यकर्ता साहिल अहमद व खालिद सिद्दिकी ने  संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहीं है उन्होंने कहा कि
पूरे महीने में तरावीह की नमाज में पूरा कुरान-ए- पाक सुनते हैं और दिन में अल्लाह की रजा और उसे खुश करने के लिए रोजा यानी उपवास जैसी इबादत करते हैं।
ईद-उल-फितर के दिन मुसलमानों को अल्लाह पाक की जानिब से इनमें कामों का सवाब दिया जाता है।
इस्लाम ने हुकम दिया है कि ईद के दिन नहा धोकर अच्छे और साफ कपड़े पहने फिर सबसे पहले सदक-ए-फितर अदा करें यानी मोहल्ले या आस-पास पड़ोस में अगर कोई गरीब या यतीम है तो उसकी मदद करें ताकि वह भी दूसरे मुसलमानों के साथ ईद की खुशियों में शरीक हो सके।
फिर मुसलमान ईदगाह में जाकर अल्लाह की बारगाह में 2 रकात नमाज दोगाना के नाम से अदा करते हैं और आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं।
ईद भाईचारे का त्यौहार है जिसमें सभी मुसलमान गिले-शिकवे मिटाकर एक दूसरे के साथ मिलकर रहने का पुख्ता इरादा करते हैं। सभी मुसलमानों से यह अपील है की ईद के इस पवित्र और पाक मौके पर जहां आप अपने और अपने घर वालों के लिए कपड़े और दीगर चीजों का इंतजाम करते हैं वही आप अपने मोहल्ले और रिश्तेदारों में उन गरीब लोगों का जरूर ख्याल रखें जो आज मजबूरी और बेबसी वाली जिंदगी गुजार रहे हैं। किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का नाम ही असल में ईद है और यही ईद का पैगाम है। हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


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