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गोरखपुर का हाल: एक साल में बनने वाला विद्युत उपकेंद्र, 12 साल बाद भी अधूरा

 गोरखपुर का हाल: एक साल में बनने वाला विद्युत उपकेंद्र, 12 साल बाद भी अधूरा



हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


गोरखपुर जिले के खखाईचखोर गांव में 2010 में नया उपकेंद्र लगाने का काम शुरू हुआ। यह काम 12 साल भी पूरा नहीं हो सका। निर्माण कार्य बंद होने से यह उपकेंद्र छुट्टा पशुओं का अड्डा बन गया है।

बिजली निगम ने दक्षिणांचल के 50 गांवों के लोगों को लो -वोल्टेज, लोकल फाल्ट से राहत दिलाने के लिए 12 वर्ष पहले खखाईच खोर गांव में उपकेंद्र बनाने का काम शुरू किया था। लेकिन सुस्ती का आलम यह है कि जो उपकेंद्र एक साल में बनकर शुरू हो जाना चाहिए था, वह 12 साल बाद भी अधूरा और काम बंद है। अर्द्धनिर्मित उपकेंद्र ठंडक, गर्मी, वर्षात सभी मौसम में इलाके के लावारिस पशुओं का अड्डा बनकर रह गया है। मामले को लेकर निगम लापरवाह बना है।


बड़हलगंज, गोला, गगहा ब्लॉक से घिरे बांगर के करीब 50 गांव को चैनपुर, अहिरौली, मझगावां उपकेंद्र से बिजली मिलती है। 15 से 20 किलोमीटर लंबा फीडर होने के कारण गांवों में पर्याप्त वोल्टेज नहीं पहुंचता है। बिजली निगम ने साल 2010 में खखाईच खोर में नया उपकेंद्र बनाने का प्रस्ताव बनाया। पावर कारपोरेशन ने प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही 2.65 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए। लखनऊ की फर्म एसपी ब्राइट को उपकेंद्र बनाने की जिम्मेदारी मिली।


फर्म को एक साल में उपकेंद्र बनाकर चालू करने का निर्देश था। दिसंबर 2010 में फर्म के मालिक योगेंद्र मेहता ने उपकेंद्र निर्माण का काम शुरू करा दिया। इस दौरान क्षेत्र के लोगों को काफी खुशी हुई। लगा कि बहुत जल्द लोकल फाल्ट, लो बोल्टेज से निजात मिल जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ उपकेंद्र का भवन तैयार होने के बाद ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। इस दौरान काम की तय समयसीमा भी खत्म हो गई।


नहीं किया फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई


खखाईच खोर उपकेंद्र को साल 2012 में चालू होना था। एग्रीमेंट के मुताबिक काम पूरा न होने पर 2013 में फर्म के खिलाफ कार्रवाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन अधिकारियों की सुस्ती का आलम यह है कि एग्रीमेंट की अवधि बीतने के 12 साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। अब तक अधिकारियों को फर्म को ब्लैक लिस्ट कर टेंडर व एग्रीमेंट निरस्त कर दूसरे ठेकेदार से काम करा देना चाहिए


इन गांवों में होती है दिक्कत

मामखोर, खखाईचखोर, सरया महुलिया, जगदीशपुर, नेवादा, रामकोला, मजुरी, शिवपुर, जमीनभीटी, जमीनलौहरपुर, मझौरा, बरवल, सखरूआ, बड़गो, फत्तेपुर, बाघागाडा़, कौवाडील, सम्मेथान, भीटी, मऊवा, भरौली, बेलसड़ा, करौती, जमीनशुक्ल, मंझरिया, सकराखोर, बालभीटी, गौरपार, लोहरापार, बेलपार, रामपुर, गड़री, सरदहा, बडैला, चिरैयाडाड़, गांगुपार, चिमचा, भरपुरवा आदि हैं।


विद्युत कार्य मंडल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एनके श्रीवास्तव ने 2019 में उपकेंद्र को पूरा कराने की पहल की। छह माह के पत्राचार के बाद फर्म के मालिक योगेंद्र मेहता ने अधीक्षण अभियंता से संपर्क किया। अधीक्षण अभियंता के निर्देश पर फर्म ने 33 केबीए लाइन का निर्माण कराया।


उसके बाद भुगतान की मांग करने लगा। एग्रीमेंट में कार्य पूरा होने पर भुगतान देने का उल्लेख होने के कारण अधीक्षण अभियंता ने बीच में भुगतान करने से इनकार कर दिया। 25 लाख रुपये के भुगतान के अभाव में फर्म ने उपकरण लगाने और 11 केवी लाइन बनाने से हाथ खड़े कर दिए


गोरखपुर माध्यमिक कार्य खंड विद्युत अधिशासी अभियंता चंद्रशेखर ने कहा कि मुझे कुछ दिन हुआ यहां ज्वाइन किए, पूरी जानकारी नहीं है। खखाईच खोर उपकेंद्र का निर्माण कार्य पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। पत्रावली देखने के बाद अगर अबतक लखनऊ की फर्म को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया होगा तो उसे ब्लैकलिस्ट कर टेंडर व एग्रीमेंट निरस्त किया जाएगा। ताकि किसी दूसरे ठेकेदार से काम कराकर उपकेंद्र को चालू कराया जा सके।

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