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बिना किताबों के पढ़ रहे 70 फीसदी बच्चे:परीषदीय स्कूलों में फटी- पुरानी किताबों से हो रही पढ़ाई, एक किताब से पढ़ रहे 3 से 4 बच्चे

 बिना किताबों के पढ़ रहे 70 फीसदी बच्चे:परीषदीय स्कूलों में फटी- पुरानी किताबों से हो रही पढ़ाई, एक किताब से पढ़ रहे 3 से 4 बच्चे




हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


मैंम मेरे पास किताब नहीं है, मिसजी मुझे किताब में झांकने नहीं दे रहा है, मैडमी जी नई वाली किताब कब मिलेगी, सरजी कॉपी में का लिखें किताब ही नहीं है। ऐसे सवाल गोरखपुर के परिषदीय स्कूलों में हर रोज टीचर्स से बच्चे करते हैं। क्योंकि एक अप्रैल को परिषदीय स्कूलों में नया सेशन तो शुरू हो गया, लेकिन तीन महिने बीतने के बाद भी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाईं।



ऐसे में बच्चों को फटी पुरानी किताब देकर कोरम पूरा कर शिक्षा विभाग अपनी इज्जत बचा रहा है। लेकिन आज भी इन स्कूलों के 70 फीसदी बच्चे बिना किताबों के पढ़ रहे हैं। जिन बच्चों के पास फटी- पुरानी किताबें हैं भी, वो पिछले साल पासआउट हुए स्टूडेंट्स से वापस ली हुई किताबें हैं।



बिलंदपुर प्राइमरी स्कूल में 40-50 बच्चे स्कूल तो आ रह हैं। क्लास रूम में एक फटी किताब के साथ दो-तीन बच्चे पढ़ाई करते दिखे

एक किताब से पढ़ रहे 3 से 4 बच्चे

बिलंदपुर प्राइमरी स्कूल में 40-50 बच्चे स्कूल तो आ रह हैं। क्लास रूम में एक फटी किताब के साथ दो-तीन बच्चे पढ़ाई करते दिखे। इसी तरह कई बच्चे बिना किताब के भी बैठे हुए टीचर की बात सुन रहे थे। टीचर को भी बच्चों को किताब के अभाव में पढ़ाने में दिक्कत आ रही थी।


पूरे प्रदेश के स्कूलों का यही हाल

यह हाल सिर्फ गोरखपुर का ही नहीं है, बल्कि शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि पूरे प्रदेश के परिषदीय स्कूलों का यही हाल है। जहां बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें तीन महीने बाद भी किताबें नहीं मिली हैं।


बड़गों मंझरिया के प्राथमिक विद्यालय में एक फटी किताब के साथ दो-तीन बच्चे पढ़ाई करते दिखे।


बिना किताब कैसे करें पढ़ाई

यही हाल बड़गों मंझरिया के प्राथमिक विद्यालय का भी है। वहां पर बच्चे खूब शोर कर रहे थे। बच्चों का कहना था कि किताब ही नहीं है तो कैसे पढ़ाई होगी। वहीं कई बच्चे पुरानी किताब लेकर बैठे थे और टीचर की बातें सुनकर कॉपी में नोट कर रहे थे। यहां भी किताब के अभाव में पढ़ाई में परेशानी आ रही थी।


30 प्रतिशत बच्चों को ही मिली पुरानी किताब

स्कूलों में बच्चों से पुरानी किताबें जरूर मंगाई गई, लेकिन 25 से 30 प्रतिशत बच्चों को ही ये किताबें मिली हैं। किताबों के इंतजार में परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। टीचर्स को बच्चों को बिना किताबों के पढ़ाने के लिए हर रोज मशक्कत करनी पड़ रही है।


स्कूलों में बच्चों से पुरानी किताबें जरूर मंगाई गई, लेकिन 25 से 30 प्रतिशत बच्चों को ही ये किताबें मिली हैं


पढ़ाई पर पड़ रहा सीधा असर

दरअसल, गोरखपुर जिले में 2504 परिषदीय स्कूल हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 3.50 लाख है। इन बच्चों को नई किताबें दी जानी है। इसके लिए बच्चों को सितंबर तक इंतजार करना होगा। कोरोना की वजह से बच्चों का शैक्षिक स्तर पहले से ही कम है। ऐसे में किताबें नहीं मिलने का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।


जुलाई के आखिरी तक सभी स्कूलों को मिल जाएंगी किताबें

हालांकि गोरखपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र सिंह का कहना है कि दो ट्रक किताबें आ गई हैं। इसका सत्यापन कराया जा रहा है। जुलाई के अंत तक सभी स्कूलों के बच्चों को किताबें मुहैया करा दी जाएंगी। अभी पुरानी किताबों से पढ़ाई जारी है।


आज भी इन स्कूलों के 70 फीसदी बच्चे बिना किताबों के पढ़ रहे हैं

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