छठ आपके लिए बन जाए समृद्धि का त्योहार,
संतान की लंबी उम्र,उज्जवल भविष्य एवम सुखमय जीवन हेतु मनाए जाने वाले पर्व(छठी माई को समर्पित)
की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई
महेसरा ताल पर छठ के महापर्व को पुलिस संरक्षण में मनाया गया
हम भारती न्यूज़ से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
पौराणिक कथाओं
के अनुसार
राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया . राजा ने रानी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी. इसके प्रभाव से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हुई लेकिन वह बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ. प्रियंवद अपने मृत्य पुत्र के शरीर को लेकर श्मशान गया और पुत्र वियोग में अपने भी प्राण त्यागने लगा. तभी भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई. उन्होंने प्रियंवद से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. हे राजन तुम मेरा पूजन करो और दूसरों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से सच्चे मन से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। तब से लोग संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा का व्रत करते हैं।
इसलिए पानी में खड़े होकर की जाती है छठ की पूजा
एक मान्यता के मुताबिक छठ की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. इस पूजा की एक शुरुआत सूर्यपुत्र कर्ण के सूर्य देव की पूजा के साथ शुरू हुई थी. कर्ण हर दिन घंटों तक कमर तक पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे. उनके महान योद्धा बनने के पीछे सूर्य की कृपा थी. आज भी छठ में अर्घ्य देने की यही प्रथा प्रचलित है ।
ऐसे कथा वार्ता के साथ ने महिलाओं छठ महापर्व महेसरा ताल पर मनाया गया