अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मजदूरों ने किया पैदल मार्च
हम भारती न्यूज़ से गोरखपुर मण्डल व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
गोरखपुर बिगुल मज़दूर दस्ता और टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन की ओर से आज अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर बरगदवां, गोरखपुर स्थित फ़र्टिलाइज़र के मैदान में सभा की गयी और इसके बाद बरगदवां औद्योगिक इलाके में पैदल जुलूस निकाला गया। इस दौरान 'मई दिवस का नारा है, सारा संसार हमारा है' , 'अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम' , 'मज़दूरों की न बढ़ी कमाई बढ़ती जा रही महंँगाई', 'अम्बानी अडानी मालामाल, महंँगा डीज़ल महंँगी दाल', पूँजीपतियों से यारी है, जनता से गद्दारी है' व 'मज़दूरों की है आवाज, न्यूनतम मज़दूरी 25000' आदि गगनभेदी नारे लगाए गये।
बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रसेन ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज से 137 साल पहले '8 घण्टे काम, 8 घण्टे आराम और 8 घण्टे मनोरंजन' की मांग को लेकर जिस संघर्ष की मशाल शिकागो के महान मज़दूर नेताओं ने जलायी थी वह उनके शहीद होने के बाद भी बुझी नहीं बल्कि जंगल की आग की तरह पूरी दुनिया में फैल गयी। मज़दूरों के संघर्षों के आगे देर-सवेर पूरी दुनिया के पूॅंजीपति वर्ग को घुटने टेकने पड़े और 8 घण्टे कार्यदिवस का कानून बनाना पड़ा।
अपने देश में 1990-91 में निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद से एक-एक कर पूंँजीपति वर्ग, मज़दूरों को मिले सभी हकों-अधिकारों को ख़त्म करता जा रहा है। सभी काम ठेके, संविदा और पीस रेट पर कराया जा रहा है, जहाॅं किसी प्रकार के श्रम कानून लागू ही नहीं होते हैं। दूसरी ओर किसी भी सम्भावित प्रतिरोध को कुचलने के लिए मौजूदा फ़ासीवादी सरकार नये-नये काले कानून बना रही है। संशोधनवादी नामधारी कम्युनिस्ट पार्टियों की यूनियने, जो मुख्यतः संगठित क्षेत्र के मजदूरों में काम करती है, मई दिवस को रस्मी त्यौहार में बदलकर इसकी क्रान्तिकारी विरासत पर धूल-मिट्टी डालने का काम कर रही हैं। आज ज़रूरत है कि मई दिवस की क्रान्तिकारी विरासत को व्यापक पैमाने पर मज़दूर आबादी के बीच पहुॅंचाया जाये। मज़दूर आन्दोलन को पूँजीवादी पार्टियों के ट्रेड यूनियनों और संशोधनवादी पार्टियों के ट्रेड यूनियन के मकड़जाल से बाहर निकलकर नये सिरे से आन्दोलन को जुझारू और व्यापक बनाया जाये। और इसके लिए आज हमें पेशा आधारित और इलाका आधारित ट्रेड यूनियन बनाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए 'टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन' के राजू ने कहा कि गोरखपुर के बरगदवाॅं के मज़दूर इलाके में 'बिगुल मज़दूर दस्ता' के नेतृत्व में मज़दूरों ने शानदार लड़ाई लड़ी थी और यहाॅं के पूंँजीपतियों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। आज हमें अपनी उस शानदार लड़ाई को याद करते हुए उसकी अच्छाईयों से सीखते हुए और कमियों को दूर करते हुए एक बार फिर नये सिरे से संगठित होने की ज़रूरत है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से दीपक, राजकुमार, विकास ,अंजलि, प्रीति, दीपक शर्मा, फौजदार, रामाज्ञा ,शिव शंकर ,रामजतन, व हरिशंकर इत्यादि उपस्थित रहे