सकरौली पुलिस का अनोखा फैसला खेत की सिंचाई को रुकवाया 3 घंटे तक पत्रकार को थाने में रखा बंद सीसीटीवी कैमरा देंगे असलियत की गवाही
एटा/शकरौली- कोतवाली सकरौली क्षेत्र के गांव धर्मपुर निवासी तुर्रम सिंह पत्रकार अपने खेत की सिंचाई करने हेतु अस्थाई पाइपलाइन यानी लेजम डाल रहे थे तभी दूसरे हिस्सेदार लाठी डंडा से लैस होकर देसी कट्टा से फायर करते हुए अपने खेत की मेड के सहारे पाइपलाइन को रोक दिया जिसका प्रार्थना पत्र कोतवाली सकरौली में दिया गया एवं ट्विटर के माध्यम से भी प्रार्थना पत्र सौंप कर निवेदन किया गया बावजूद सकरौली पुलिस ने पीड़ित पत्रकार को कोतवाली में ले जाकर मोबाइल छीनते हुए पत्रकार को कोतवाली में 3 घंटा तक बंद रखा गया इसके बाद भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 430 को ताख पर रखते हुए कृषि प्रधान देश में किसान पत्रकार की सिंचाई को बंद करने का निर्देश दिया गया एवं दबाव बनाकर फैसला लिखवाया गया कि एक किसान दूसरे किसान की बिना मर्जी के उसके खेत के किनारे से अस्थाई पाइपलाइन डालकर सिंचाई नहीं कर सकता अन्यथा पीड़ित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दिया जाएगा इसके बाद पीड़ित पत्रकार को डर सता रहा है कि कभी भी विपक्षियों से प्रार्थना पत्र लेकर पीड़ित के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। बड़ा प्रश्न यह है कि सरकार तरह-तरह की योजनाओं के तहत किसान को सिंचाई हेतु सुविधा मुहैया करा रही है जब कि खेत में सिंचाई का पानी रोकना अपराध है, पढ़िए किस धारा के तहत FIR होती है। भारत के उन ग्रामीण क्षेत्रों के किसान या खेतिहर मजदूरों के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि जानकारी के अभाव में वह अपने ऊपर हो रहे अपराध को समझ ही नहीं पाते हैं। कोई खेत अगर वह सिंचित स्थान पर है और उसको किसी तालाब या नहर का पानी मिलता है और कोई अन्य व्यक्ति उस खेत में पानी नहीं पहुचने देता है या बीच में ही रोक देता है, तब ऐसा करने वाला व्यक्ति एक गंभीर अपराध को करता है जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 430 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति निम्न प्रकार का कृत्य करता है-
1. किसी भी नहर, तालाब, जलाशय आदि के पानी को खेत में सिंचाई के लिए जाने से रोकना।
2. किसी भी प्रकार के जीवजन्तु या पशुओं को पानी पीने से रोकना।
3. किसी के निर्माण कार्य के दौरान जो उसे प्राप्त होता है उस पानी को रोकना।
ऐसे कृत्य करने वाला व्यक्ति धारा 430 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 430 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध समझौता योग्य होते है, उस व्यक्ति से जिसको जल या पानी के कारण नुकसान हुआ है। यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती हैं। सजा- पांच वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
*संवाददाता- वीरबहादुर वीरू की खास रिपोर्ट