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क्या योगी की कुर्सी पर मड़रा रहा है खतरा! प्रदेश कार्य समिति की बैठक के बाद उठ रही है ऐसी आवाज



यूपी में लोकसभा चुनाव में हार के लिए बेलगाम अफसरशाही और योगी को ठहराया गया जिम्मेदार


हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर


लखनऊ उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य उपयोगी नहीं रहे। प्रदेश कार्य समिति की बैठक में ज्यादातर नेताओं ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में हार के लिए बेलगाम अफसरशाही को जिम्मेदार ठहराया जिसका निष्कर्ष यही निकाल गया कि ज्यादातर लोगों ने योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया। प्रदेश कार्य समिति को संबोधित करने की बारी जब डिप्टी सीएम केशव मौर्य की आई तो उन्होंने बेहद ही तीखे अंदाज में कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है। उनके ऐसा कहने पर ज्यादातर उपस्थित विधायकों ने जमकर ताली बजाई। संगठन के क्षेत्रीय और प्रांतीय नेताओं ने भी केशव प्रसाद के सुर में सुर मिला दिए इसके बाद योगी आदित्यनाथ तनाव में देखे गए।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में लोकसभा चुनाव में पराजय के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया लेकिन उनके संबोधन पर ज्यादातर समय खामोशी बनी रही किसी ने भी उनके संबोधन को गौर नहीं किया।


केशव प्रसाद मौर्य करेंगे सभी विधायकों से बात


सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो ऐसा माना जा रहा है कि योगी सरकार के भविष्य का फैसला करने से पहले केशव प्रसाद मौर्य भाजपा विधायकों के मन की बात टटोलेंगे और इसकी रिपोर्ट भी केंद्रीय हाई कमान तक पहुंचाएंगे। माना जा रहा है कि यदि ज्यादातर विधायक सरकार से नाराज हुए तो योगी को हटाने पर अंतिम मोहर लग सकती है।


योगी की बढ़ रही है मुश्किल


योगी के तख्ता पलट की तैयारी चल रही है लेकिन वह विवश है। उनकी विवशता का कारण यह है कि पार्टी के ज्यादातर विधायक उनसे नाराज हैं और संगठन को वह पहले भी तवज्जो नहीं दे रहे थे जिसकी वजह से संगठन भी नाराज है ऐसे में उनके साथ न तो संगठन खड़ा है और न ही विधायक। केंद्रीय हाई कमान उनकी इसी कमजोरी का लाभ उठाते हुए अभी नहीं तो कभी नहीं जैसी रणनीति पर काम कर रहा है।


आरएसएस देखो और इंतजार करो की नीति पर कर रहा काम


ऐसे संकेत मिले हैं कि यदि योगी हटाए जाते हैं तो आरएसएस सीधा हस्तक्षेप करेगा या नहीं अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। फिलहाल संघ और संगठन देखो और इंतजार करो की नीति पर काम कर रहा है। पूर्व में योगी आदित्यनाथ आरएसएस से नजदीकी बनने से इसलिए भी संकोच कर रहे थे कि कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नाराज न हो जाएं लेकिन योगी आदित्यनाथ जी जिस बात से डर रहे थे वही हुआ। प्रधानमंत्री मोदी किसी भी कीमत पर योगी को हटाना चाहते हैं और ऐसे में जब योगी आदित्यनाथ को संघ की जरूरत है तो संघ भी देखो और इंतजार करो की नीति पर आ गया है।


भाजपा की बढ़ी मुश्किल


भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ को पिछड़ा, दलित और आदिवासी, अल्पसंख्यक विरोधी बना दिया और पिछड़े, दलित और आदिवासियों में योगी हिंदुओं के बजाय सामान्य वर्ग के बड़े नेता के रूप में स्थापित हो गए हैं। अगर पिछड़े, दलित और आदिवासियों में योगी आदित्यनाथ की यही छवि बनी रही तो भारतीय जनता पार्टी के लिए आने वाले समय में बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ पूरे देश में हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं और यह चेहरा खुद भाजपा ने उन्हें बनाया है। राज्यों के चुनाव हो या लोकसभा के चुनाव सभी चुनाव में योगी का चेहरा हिंदुत्व के रूप में इस्तेमाल किया गया ऐसे में यदि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाता है तो भारतीय जनता पार्टी का हिंदुत्व का पूरा सिलेबस ही आउट ऑफ कोर्स हो जाएगा यानी हिंदुत्व का मुद्दा ही बेमानी हो जाएगा। लेकिन योगी आदित्यनाथ को नहीं हटाया जाएगा तो सामाजिक न्याय के पिच पर विपक्ष का भाजपा सामना नहीं कर पाएगी। योगी आदित्यनाथ हटे तो भारतीय जनता पार्टी को सामान्य वर्ग का एक मुश्त वोट गंवाने का खतरा है। ऐसी कठिन परिस्थिति में फसी भारतीय जनता पार्टी आने वाले समय में क्या कदम उठाती है देखना दिलचस्प होगा।

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