हम भारती न्यूज़
मंडल ब्यूरो चीफ राजेश्वर सिंह
संभल से खास खबर
कार्यालय जिला प्रोबेशन अधिकारी, सम्भल।*
xजिला प्रोबेशन अधिकारी महोदय, सम्भल के निर्देश के क्रम में जनपद में मिशन शक्ति विशेष अभियान फेस 5.0 के अंतर्गत महिला एवं बालिकाओं को प्रोत्साहित करने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, इसी क्रम में आज दिनांक 07.10.2024 को बाल कल्याण समिति, सम्भल में बाल विवाह रोकथाम पर चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमंे श्री गौरव गुप्ता, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, श्रीमती नीलम राय, सदस्य बाल कल्याण समिति, श्रीमती नूतन, सदस्य बाल कल्याण समिति, कार्यालय जिला प्रोबेशन अधिकारी, सम्भल में कार्यरत श्री नासिर अली, कनिष्ठ सहायक, जिला बाल संरक्षण इकाई के संरक्षण अधिकारी श्री तेजपाल सिंह, श्री खेमपाल सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता, मिशन वात्सल्य द्वारा रोके गये बाल विवाह बालिकाओं को कार्यालय में बुलाकर बाल विवाह रोकथाम एवं उसके दुष्परिणाम के विषय के निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की गई -----
बाल विवाह (ब्ीपसक डंततपंहम)
बाल विवाह एक ऐसा सामाजिक कुरीति है, जिसमें बालकों (लड़के और लड़कियों) का विवाह उनकी उम्र के निर्धारित कानूनी सीमा से पहले कर दिया जाता है। यह प्रथा, विशेष रूप से लड़कियों के लिए, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से हानिकारक होती है। बाल विवाह मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहां गरीबी, अशिक्षा, और सामाजिक असमानता अधिक होती है। भारत में यह प्रथा ऐतिहासिक रूप से मौजूद रही है और कई कानूनों के बावजूद आज भी यह विभिन्न स्थानों पर देखी जा सकती है।
बाल विवाह के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैंः-
गरीबीः- आर्थिक तंगी के कारण माता-पिता अपने बच्चों की शादी कम उम्र में कर देते हैं, ताकि उनका खर्च कम हो सके।
शिक्षा का अभाव/अशिक्षाः- शिक्षा की कमी के कारण लोग इस प्रथा के प्रति जागरूक नहीं होते हैं और इसके दुष्परिणामों से अनजान होते हैं।
सामाजिक दबाव और परंपराएंरू कई समुदायों में बाल विवाह को पारंपरिक प्रथा के रूप में देखा जाता है और इसे समाज में प्रतिष्ठा के रूप में माना जाता है।
लिंग असमानतारू समाज में लड़कियों की स्थिति को कमजोर समझा जाता है और उन्हें बोझ माना जाता है, जिससे उनके माता-पिता उन्हें जल्दी शादी करके अपने कर्तव्यों से मुक्त होना चाहते हैं।
बाल विवाह के प्रभाव बाल विवाह का बच्चों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैः-
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएंः- कम उम्र में विवाह और गर्भावस्था से लड़कियों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह कुपोषण, मातृ मृत्यु दर, और शिशु मृत्यु दर को बढ़ाता है।
मानसिक और भावनात्मक तनावः- शादी के बाद कम उम्र की लड़कियां अक्सर घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होती हैं।
आर्थिक निर्भरताः- शिक्षा और कौशल की कमी के कारण बाल विवाह पीड़ित लड़कियों को जीवन में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना मुश्किल हो जाता है।
कानूनी उपाय भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह गैर-कानूनी घोषित किया गया है। इस कानून के अनुसार, लड़कियों की न्यूनतम शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष निर्धारित की गई है। बाल विवाह के मामलों में दोषियों को सजा का प्रावधान भी है।
बाल विवाह की रोकथाम के उपाय शिक्षा लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और बाल विवाह का विरोध कर सकें।
सामाजिक जागरूकतारू समाज में बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
कानूनी सख्तीः- बाल विवाह रोकने के लिए कानून को और सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। सामुदायिक भागीदारी स्थानीय समुदायों और संगठनों को बाल विवाह रोकने के प्रयासों में शामिल किया जाना चाहिए। बाल विवाह का उन्मूलन एक स्वस्थ, सशक्त और समान समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसके लिए शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और कानून का सही पालन होना बेहद जरूरी है। श्री तेजपाल सिंह, संरक्षण अधिकारी द्वारा महिला कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई जिसमें मुख्य रूप से बच्चियों के माता-पिता को कन्या सुमंगला योजना से लाभान्वित होने के लिए जनसेवा केंद्र पर आवेदन करने के लिए बताया। एवं श्रीमती नीलम राय, सदस्य बाल कल्याण समिति, श्रीमती नूतन, सदस्य बाल कल्याण समिति सम्भल द्वारा विभिन्न हेल्पलाइन नंबरों 1098, 112, 108, 102, 1090,181,1076, आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी।