झूठे आकड़ों और धमकी के बल पर निजीकरण करने की कोशिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी - संघर्ष समिति
आगरा शहर के निजीकरण का मॉडल पॉवर कारपोरेशन और प्रदेश की जनता पर एक भारी वित्तीय बोझ- इं. पुष्पेंद्र सिंह
हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
गोरखपुर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने कहा है कि झूठे आकड़ों, धमकी और दमन के बूते निजीकरण की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी। संघर्ष समिति द्वारा आगरा में टैरिफ की सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा नियामक आयोग के सामने उठाकर निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की जायेगी। आज लगातार 229 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर के पदाधिकारियों इस्माइल खान, पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन , जितेन्द्र कुमार गुप्त, शिवम चौधरी, अमित यादव, विजय सिंह, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, संदीप श्रीवास्तव, श्याम सिंह, एन के सिंह, मनोज यादव, राकेश चौरसिया, विजय बहादुर सिंह, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर आदि ने आज यहां बताया कि निजी घरानों को मदद देने के लिए विद्युत वितरण निगमों ने निजीकरण के पहले ही टैरिफ में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज कर निजीकरण के बाद बिजली दरों में होने वाली बेतहाशा वृद्धि का संकेत दे दिया है।
उन्होंने बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारी और बिजली कर्मी 15 जुलाई को आगरा में नियामक आयोग के सामने दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मुद्दा जोर.शोर से उठायेंगे।
संघर्ष समिति ने बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में कुल 5706 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को दी जा रही है। अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि सरकार की कैश फंडिंग के नाम पर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इस सब्सिडी को कैश गैप में जोड़ कर घाटे में दिखा रहा है। इससे ऐसा लगता है कि निजीकरण के बाद किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त करने की तैयारी है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 4692 करोड़ रूपये टैरिफ की सब्सिडी है, निजी नलकूपों के लिए 99 करोड़ रूपये की सब्सिडी है और बुनकरों के लिए 23 करोड़ रूपये की सब्सिडी है। इस प्रकार कुल 5706 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में दी जा रही है।
संघर्ष समिति ने कहा कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में वर्ष 2024-25 में उपभोक्तओं से 11546 करोड़ रूपये राजस्व वसूल किया गया। सरकारी विभागों पर 4543 करोड़ रूपये का राजस्व बकाया है जो सरकारी विभागों ने नहीं दिया है। सरकारी विभागों का राजस्व बकाया देना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकारी विभागों का राजस्व जोड़ लिया जाये तो वर्ष 2024-25 में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का कुल राजस्व 16089 करोड़ रूपये हो जाता है।
16089 करोड रुपए में 5706 करोड रुपए सब्सिडी जोड़ देने के बाद कुल आय 21795 करोड़ रुपए हो जाती है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने विद्युत नियामक आयोग को बताया है कि वर्ष 2024-25 का कुल खर्चा लगभग 19639 करोड़ रूपये है। इस प्रकार वर्ष 2024-25 में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को 2156 करोड़ रूपये का मुनाफा हो रहा है जब कि झूठे आंकड़े दिखाकर घाटे के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है।
पावर कारपोरेशन .प्रबन्धन मुनाफे में चल रहे दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का झूठे आंकड़े देकर बढ़ा-चढ़ा कर घाटा दिखा रहा है और इस आधार पर निजीकरण किया जा रहा है। संघर्ष समिति प्रबन्धन के झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में 15 जुलाई को आगरा में नियामक आयोग के सामने तथ्य रख कर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करेगी।
संघर्ष समिति ने कहा कि उप्र में निजीकरण के नाम पर 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की विद्युत व्यवस्था अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाईजी के नाम पर टोरेंट पॉवर कम्पनी को सौंपी गयी। इस प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को अरबों रूपये की क्षति हुई है और हो रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन ने रूपये 5.55 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को रूपये 4.36 प्रति यूनिट पर बेचा। लगभग 2300 मिलियन यूनिट बिजली बेचने में इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 275 करोड़ रूपये की क्षति हुई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 में आगरा शहर का औसत बिजली विक्रय टैरिफ रूपया 7.98 प्रति यूनिट है। इस प्रकार टोरेंट कम्पनी ने एक वर्ष में लगभग 800 करोड़ रूपये का मुनाफा कमा लिया। यदि आगरा शहर की बिजली व्यवस्था पॉवर कारपोरेशन के पास होती तो पॉवर कारपोरेशन को लगभग 01 वर्ष में 1000 करोड़ रूपये का मुनाफा होता।
पॉवर कारपोरेशन द्वारा विगत 14 वर्षों में खरीद की लागत से कम मूल्य पर टोरेंट कम्पनी को बिजली देने में लगभग 2434 करोड़ रूपये की क्षति हुई है। इस क्षति के अलावा आगरा के निजीकरण से पॉवर कारपोरेशन के राजस्व की क्षति कम से कम 7000 करोड़ रूपये की हो चुकी है। निजीकरण का यह मॉडल पूरी तरह से पॉवर कारपोरेशन और प्रदेश की जनता पर एक भारी वित्तीय बोझ है।
आगरा में जब 1 अप्रैल 2010 को आगरा की विद्युत वितरण व्यवस्था टोरेंट पॉवर कम्पनी को सौंपी गयी थी तब पॉवर कारपोरेशन का आगरा शहर का बिजली राजस्व का बकाया 2200 करोड़ रूपये था। करार के अनुसार टोरेंट पॉवर कम्पनी को यह राजस्व वसूल कर पॉवर कारपोरेशन को वापस करना था। इसके एवज में टोरेंट पॉवर कम्पनी को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि मिलनी थी। आज तक टोरेंट पॉवर कम्पनी ने पॉवर कारपोरेशन को यह 2200 करोड़ रूपये नहीं दिया है। टोरेंट कम्पनी यह धनराशि खा गयी।
C c. उन्होंने बताया कि आगरा में निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की किसानों को मुफ्त बिजली देने की नीति है। निजीकरण के बाद बिजली कनेक्शन देने के लिए टोरेंट कम्पनी द्वारा उपभोक्ताओं से मनमाना एस्टीमेट लिया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर 12 फरवरी 2025 को आगरा में टोरेंट पॉवर के एक बिल की कॉपी संलग्न की जा रही है जिसमें 2 किलो वाट का कनेक्शन देने के लिए उपभोक्ता से 9 लाख रूपये वसूला गया है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। निजीकरण के बाद उप्र में पूर्वांचल और दक्षिणांचल की गरीब जनता के साथ भी यही होने जा रहा है।
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता।
बिजली के निजीकरण के विरोध में आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।