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महिलाओं की रंग बिरंगी साड़ियों से घेर दिया खेत, पुरुषों के कपड़ों से बनाए पुतले

 फसल बचाने में उतर गए किसानों के तन से कपड़े
छुट्टा पशुओं से सब्जी, तिलहन और दलहन की फसलों को बचाने के
 जद्दोजहद में जुटे किसान

 महिलाओं की रंग बिरंगी साड़ियों से घेर दिया खेत, पुरुषों के कपड़ों से बनाए पुतले

संतकबीरनगर।
सियासत में भले ही किसानों की तरक्की के कसीदे पढ़े जाते हों लेकिन धरातल पर तो उनके दुर्दशा का अलग ही मंजर नजर आता है। खेतों में खड़ी फसल की सुरक्षा में कड़ाके की ठंड से जूझते किसान रात दिन रखवाली के बाद भी जब फसल बचाने में असफल होने लगे तो उन्होंने अपने तन के कपड़े भी फसलों की सुरक्षा में कुर्बान कर दिए। खेतों के किनारे कपड़ों की बाड़ लगाकर और चारों तरफ कपड़े के पुतले खड़ा करके फसल बचाने की किसानों की जद्दोजहद भी नाकाफी साबित हो रही है।
बेबस, मासूम और लाचार किसान आज कल सियासत का सबसे बड़ा हथियार बनता जा रहा है। सत्ता का दंभी रवैया हो फिर विपक्ष का घड़ियाली आंसू कुछ भी तो किसानों की टीस के करीब नही दिखता। कड़ाके की ठंड में अपने फसलों को बचाने में ठिठुरता किसान सियासत का मोहरा बन कर रह गया है। छुट्टा और जंगली पशु किसानों को तबाह और बर्बाद करने में जुटे हुए हैं। किसानों की आय दुगुनी करने का दावा करने वाली सत्ता हो या फिर किसानों की बर्बादी पर घड़ियाली आंसू बहाने वाला विपक्ष किसी के पास भी खेतों में खड़ी फसलों को बचाने की कोई योजना नहीं है। सब्जी, तिलहन और दलहन की खेतों में खड़ी फसल छुट्टा पशुओं के निशाने पर है। खेतों में रखवाली करते किसान की पलक जरा सी झपकी तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। अपनी तमाम कोशिशों और दिन रात की मेहनत के बाद भी जब फसल बचाने में असफलता मिलती रही तो किसानों ने अपने तन के कपड़े भी फसलों की सुरक्षा में उतार दिए। खेतों के चारो तरफ रंगविरंगी साड़ियों की बनाई गई बाड़ बेबस किसानों की  कहानी खुद बयां करते हैं। किसान राम ललित, राम सुमेर, बजरंगी, राम नारायण आदि का कहना है कि एमएसपी पर बहस करने वाली सरकार और विपक्ष को पहले फसलों की सुरक्षा के लिए कोई नीति बनानी चाहिए। जब फसल छुट्टा जानवरों से बचेगी ही नही तो फिर किस पर एमएसपी होगी? किसानों ने सरकार द्वारा न्याय पंचायत स्तर पर खोले गए पशु आश्रय केंद्रों को  सरकारी नौटंकी बताते हुए छुट्टा पशुओं से निजात दिलाने की मांग किया है। किसानों का दावा है कि यदि उनके तन के कपड़ों से भी फसल नहीं बची तो आने वाले दिनों में किसानों की स्थिति बेहद भयावह साबित हो सकती है और इसका खामियाजा सरकारों को भी भुगतना पड़ेगा। हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला चीफ ब्यूरो धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


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