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विलुप्त होते कुम्हारी कला के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए कुम्हारी कला को परस्पर बढ़ावा की है जरूरत-सुरेंद्र मोहन

 विलुप्त होते कुम्हारी कला के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए

कुम्हारी कला को परस्पर बढ़ावा की है जरूरत-सुरेंद्र मोहन




कुम्हारी कला को बढ़ावा देने के के उद्देश्य से कुम्हारी कला का किया गया आयोजन।आज इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र मोहन निषाद ने कुम्हारी कला के उद्घघाटन पर कहा कि कुम्हारी कला के विलुप्त होने से बचाने के लिए राजनैतिक संगठनों के साथ ही साथ सामाजिक संगठनों को भी आगे आना चाहियें जिससे कि इस विलुप्त हो रही कुम्हारी कला को बचाया जा सके।मेंहदावल नगर पंचायत में कुम्हारी कला की आज भी रौनक देखने को मिलता है।आज राजनीतिक पराभाव कहा जाए या कुम्हारों की बदकिस्मत की आज इस विलुप्त होते कुम्हारी कला के लिए ना राजनैतिक संगठन आगे आ रही है और ना ही सामाजिक संगठन।पहले मिट्टी के पात्र को ही ज्यादातर प्रयोग में लाया जाता था लेकिन आज इस आधुनिक युग मे इसका कोई महत्व नही रह गया है।आज इसी वजह से कुम्हार दूसरे रोजगार के लिए दूर देशों में जाने के लिए मजबूर है।कुम्हार समाज सभी तरह की मिट्टी की मूर्ति व आधुनिक तरह के साज सज्जा की सामानों को बनाने की कला को जानने के बावजूद तंगहाली की जिंदगी जी रहा है।मिट्टी महंगी होने के कारण उत्पाद महंगे हो रहे हैं।कुम्हारों की इन समस्याओं पर ध्यान दिया जाए तो विलुप्त होती कुम्हारी कला को और बल मिलता।कुम्हारी कला के इस कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र प्रजापति ने की।इस अवसर पर रामरतन, हिमांशु,सूरज मूर्तिकार, रवि प्रजापति, बब्बन,अनिरुद्ध निषाद,लक्ष्मण निषाद,चन्द्रशेखर यादव,हीरा यादव,घनश्याम मौर्य,डॉ शिव प्रसाद प्रजापति, रामराज मौर्य प्रधान कुड़वा,रामबेलास प्रजापति, दुर्गेश जायसवाल, राकेश सैनी,अमित साहू आदि लोग उपस्थित रहे। हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला चीफ ब्यूरो धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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