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अब खांसी की आवाज़ से होगी टीबी की पहचान, "फिल्डी एप" से टीबी रोगियों की जांच शुरू

 हम भारती न्यूज़
संवाददाता मोहम्मद अशरफ जिला ब्यूरो चीफ सारण बिहार

अब खांसी की आवाज़ से होगी टीबी की पहचान, "फिल्डी एप" से टीबी रोगियों की जांच शुरू
•    •जिले के सभी प्रखंडों में लोगों का लिया जायेगा सैंपल
•    •प्रयोग सफल रहने पर टीबी रोगियों की पहचान व उपचार होगा

छपरा,4 फरवरी। टीबी के मरीजों की जांच के लिए अब बलगम नहीं, खांसी की आवाज के सैंपल लिए जाएंगे। सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए "फिल्डी एप" नाम से मोबाइल एप तैयार कराया है। कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉल्यूशन ट्रू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत इसका ट्रायल शुरू किया है। जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले चरण में प्रत्येक प्रखंड में लोगों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा। अगर यह सफल रहा तो टीबी मरीजों को चिह्नित करने में काफी सहूलियत होगी तथा उनका इलाज ससमय हो पाएगा। एप के माध्यम से संक्रमित रोगी, दूसरे संक्रमित के संपर्क में आए रोगी तथा तीसरा टीबी के लक्षण पाए गए रोगी से एप के माध्यम से 30 - 30 प्रश्न पूछे गए। जिसके बाद उनकी आवाज रिकॉर्ड की गई । जिसे सेंट्रल टीबी डिवीजन भेजा जाएगा। परीक्षण सफल होने पर इस एप के माध्यम से घर-घर जाकर ऐसे रोगियों की पहचान की जा सकेगी। रोगी की पहचान होने पर प्रोत्साहित कर सफल इलाज कराने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को 1000 रुपए प्रोत्साहन राशि जबकि टीबी से संक्रमित मरीजों को  पोषण योजना के तहत 500 रुपए कोर्स पूरा करने तक दिया जाएगा।

सैंपल कलेक्ट कर होगी स्टडी:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा  ने बताया आवाज के जरिए टीबी की पहचान करने के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों से सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं। इसमें कई जिलों को शामिल किया गया है। जिले में सभी प्रखंडों में सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं । एक्सपर्ट इन सैंपल्स से माइक्रो रिसर्च और स्टडी का काम शुरू करेंगे। इसमें देखा जाएगा कि सामान्य व्यक्ति की आवाज और टीबी के मरीज की आवाज में क्या अंतर आता है। इसके लिए चिह्नित लोगों के नाम व पते गोपनीय रखे जाएंगे । डीपीसी पंकज कुमार ने बताया ने बताया कि मरीज के तीन बार खांसते हुए आवाज एप पर रिकॉर्ड की जाती है।10 सेकेंड की रिकॉर्डिंग में 5 स्वर अक्षर के उच्चारण को भी रिकॉर्ड किया जाता है।

मरीजों को मिलेगा लाभ:
सिविल सर्जन ने बताया आवाज के सैंपल लेने के लिए एसटीएस, एसटीएलएस,एलटी, ट्रेनिंग कराई गई है। यदि यह टेक्नोलॉजी सफल होती है तो टीबी की पहचान और इलाज काफी आसान हो जाएगा। समय की भी काफी बचत होगी। इससे मरीजों को बहुत फायदा होगा।

शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए दिया गया प्रशिक्षण:
जिले के सभी प्रखंडों में शत-प्रतिशत टीबी मरीजों का सैंपल कलेक्शन को लेकर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है। इसको लेकर राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया। जिसमें राज्यस्तरीय पदाधिकारियों ने सीडीओ को निर्देश दिया कि शत-प्रतिशत सैंपल कलेक्शन कराना सुनिश्चित करें।


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