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गोरखपुर में बन रहा विश्व का पहला राज-गिद्ध केंद्र:1.06 करोड़ रुपए की दूसरी किश्त जारी, 3 सितंबर को लोकार्पण करेंगे CM योगी; जानिए खास बातें

 गोरखपुर में बन रहा विश्व का पहला राज-गिद्ध केंद्र:1.06 करोड़ रुपए की दूसरी किश्त जारी, 3 सितंबर को लोकार्पण करेंगे CM योगी; जानिए खास बातें



हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


दुनिया का पहला राज गिद्ध प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मूर्त रूप लेने जा रहा है। गोरखपुर वन प्रभाग के महराजगंज पार्ट के फरेंदा के भारी-वैसी में निर्मित पहले ‘रेड हेडेड व्लचर प्रजनन एवं संवर्धन’ केंद्र के लिए 1.06 करोड़ रुपये का बजट और मिल गया है।


साल 2021 में इस प्रोजेक्ट पर अब तक 80.24 लाख रुपये की धनराशि से तमाम निर्माण कार्य और जरूरी उपकरण खरीदे जा चुके हैं। नई धनराशि मिलने के बाद वन विभाग जल्द से जल्द काम शुरू करने की तैयारी में हैं। ताकि सितंबर के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस 03 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों लोकार्पित कराया जा सके।


गोरखपुर वन प्रभाग के महराजगंज पार्ट के फरेंदा में बन रहा पहला राज गिद्ध प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र

15 साल में खर्च होंगे 35 करोड़ रुपए

दरअसल, राज गिद्धों के नाम से पहचानी जाने वाली गिद्धों की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति का प्रजनन केंद्र गोरखपुर में शुरू होने जा रहा है। रामायण में जिस जटायु का वर्णन किया गया है, वह इसी प्रजाति के थे। राज गिद्ध के संवर्धन के लिए यूपी सरकार 15 वर्षों में 35 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है, जिसकी पहली किश्त के रूप में सात करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए गए हैं।


पहले चरण में लाए जाएंगे तीन जोड़ी राज गिद्ध

यहां पहले चरण में तीन जोड़ी राज गिद्ध लाए जाएंगे। यह कार्य यूपी सरकार बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के साथ मिलकर करेगी।


बता दें कि भारत में वर्तमान में असम, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल सहित कुल चार जगहों पर गिद्धों के प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र खोले गए हैं। लेकिन इनमें से कोई भी राज गिद्ध के लिए नहीं है।


गिद्धों के राजा होते हैं राज गिद्ध। इनकी गर्दन लाल होती है। इसी प्रजाति के गिद्ध राज जटायु का रामायण में वर्णन किया गया है।

गिद्धों के राजा होते हैं राज गिद्ध। इनकी गर्दन लाल होती है। इसी प्रजाति के गिद्ध राज जटायु का रामायण में वर्णन किया गया है।

15 साल में बढ़ाई जाएगी राज गिद्ध जटायु की संख्या

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और योगी सरकार के बीच में 15 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत योगी सरकार ने गोरखपुर वन प्रभाग के महराजगंज पार्ट के फरेंदा के भारी-वैसी में 24 बीघे जमीन दी है। इसमें ओबरी रूम के साथ अस्पताल, लैब और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।


इसके लिए सात करोड़ रुपए की पहली किश्त 18 अप्रैल 2022 को स्वीकृत की गई है। सोसाइटी की वरिष्ठ जीव वैज्ञानिक अलका दुबे ने बताया कि गिद्धों के संरक्षण को लेकर दुनिया में कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं। उसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ उनकी सोसाइटी ने भी कार्य शुरू किया है।


साल में एक अंडा देती है फीमेल राज गिद्ध

यूपी में शुरू होने वाले प्रोजेक्ट जटायु के तहत जो तैयारी की गई है, उसको तीन चरणों में बांटा गया है। अलका दुबे ने बताया कि वर्ष 2022-23 में सात जोड़ी राज गिद्ध इस केंद्र में लाए जाएंगे। उसके बाद वर्ष 2023-24 में दो जोड़ी और राज गिद्ध लाए जाएंगे। इस केंद्र में गिद्धों की संख्या बढ़ाने का कार्य किया जाएगा।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिद्ध को बचाने की दिशा में काम चल रहा है


12 जोड़ी गिद्धों से हो जाएंगे 150 से 180 गिद्ध

अलका दुबे ने बताया कि 12 जोड़ी गिद्धों से उम्मीद है कि 15 सालों में इनकी संख्या 150 से 180 के बीच हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हर साल फीमेल राज गिद्ध सिर्फ एक अंडा देती है, जिसको कैचिंग करके प्रजनन केंद्र में दो करने की कोशिश की जाती है। वर्तमान में यूपी के तराई वाले 18 जिलों में उनकी संस्था राज गिद्धों के संवर्धन पर कार्य कर रही है। उसके लिए नेपाल बार्डर से लगने वाले 100 किलोमीटर के दायरे में कार्य चल रहा है।


राज गिद्ध प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र में यह सुविधाएं

गिद्धों में चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। एक सफेद पीठ वाला, दूसरा लंबी चोंच वाला गिद्ध, तीसरा पतली चोंच वाला होता है। इन सबके जो राजा होते हैं, उनको राज गिद्ध कहते हैं। इनकी गर्दन लाल होती है। इसी प्रजाति के गिद्ध राज जटायु का रामायण में वर्णन किया गया है।


किसी जानवर के मरने पर पहली चोंच मारकर मृत शरीर को खोलने का कार्य गिद्धराज करते हैं। उसके बाद बाकी की गिद्ध प्रजाति मरे जानवरों को खाने का कार्य करते हैं। यूपी में खुलने वाला गिद्ध संवर्धन और प्रजनन केंद्र सिर्फ राज गिद्ध के लिए शुरू किया जा रहा है। सरकार ने इसीलिए इस प्रोजेक्ट को सेव जटायु की श्रेणी में रखा है।


सेव टाइगर की तर्ज पर सेव जटायु प्रोजेक्ट

गिद्धों के संरक्षण के लिए शेड्यूल वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत इनको संरक्षित और सुरक्षित रखने के नियम बनाए गए हैं। साथ ही इनके प्रजनन केंद्र भी देश के चार हिस्सों में खोले गए हैं। यह ठीक उसी तर्ज पर अभियान चलाया गया है, जिस तर्ज पर देश में सेव टाइगर की मुहिम चलाई जा रही है।


चार दशक पहले तक करोड़ों की संख्या में होने वाले गिद्ध वर्तमान में पूरे विश्व में लगभग 91 फीसद से ज्यादा खत्म हो चुके हैं। उसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिद्ध को बचाने की दिशा में काम करना शुरू किया गया।


गिद्धों में चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं।

9 प्रतिशत से भी कम गिद्ध बचे हैं

गिद्धों को बचाने के क्रम में जानवरों को दी जाने वाली दवा डाइक्लो फ्याड सोडियम को 2006 में प्रतिबंधित किया गया। इस दवा को खाने के बाद मरने वाले जानवरों को खाने से गिद्धों में संक्रमण फैलने से मौत होने लगी। आज पूरी दुनिया में नौ प्रतिशत से भी कम गिद्ध बचे हैं। अभी भी मार्केट में कई ऐसी दवाएं बिक रही हैं, जिनको प्रतिबंधित करने के लिए 2015 से केंद्र सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को लगातार लिखा जा रहा है।


मुख्यमंत्री कर रहे है प्रोजेक्ट की निगरानी

इस प्रोजेक्ट पर खुद योगी आदित्यनाथ लगातार निगरानी रख रहे हैं। 18 अप्रैल को इस प्रोजेक्ट में तेजी से कार्य हो सके, इसके लिए वन विभाग को सात करोड़ रुपए का बजट भी दे दिया गया है। हर तीसरे महीने प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रगति पर प्रजेंटेशन CM देख रहे हैं। वर्ष 20021-22 के बजट के अभाव में प्रोजेक्ट के रफ्तार धीमी हो गई है। वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना खुद इस मसले पर बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से संपर्क बनाए हुए हैं।


रामायण में जटायु का है जिक्र

रामायण में जटायु का महत्वपूर्ण अंश है। जिसमें भगवान राम के वनवास काल में रावण ने सीता का अपहरण किया था। जब रावण पुष्पक विमान से माता सीता का अपहरण कर आसमान के रास्ते से जा रहा था, तब गिद्धराज जटायु ने सीता को छुड़ाने के लिये रावण से युद्ध किया था। जिसमें गिद्धराज जटायु के प्राण चले गए थे। यूपी सरकार के राज गिद्ध के प्रजनन एवं संबर्द्धन केंद्र को उसी दिशा में देखा जा रहा है।

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