वेद लक्षणा सुरभि गाय को अंतिम विदाई
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गाय में देवी-देवता वास करते हैं इसलिए इसे पावन माना जाता है और समाज में इसकी पूजा की जाती है। जिस गाय के घर में रहने से भगवान राधा-कृष्ण का वास रहता है, ऐसी गोमाता की आज दुर्दशा हो रही है। पहले घर-घर में गाय का पालन-पोषण, पूजन होता था, अब कुछ ही घर में गोमाता की देखभाल की जा रही है। गाय तो साक्षात भगवान है। सुरभि गाय के दूध की एक बूंद से भगवान प्रकट हुए हैं और संपूर्ण सृष्टि की रचना हुई है। सुरभि नामक गाय केदारेश्वर गो आश्रम में मौजूद थी। से चर्म रोग होने के कारण उनका आत्म तत्व परमात्मा से मिल गया गाय को हिन्दू संस्कृति में परिवार में कोई निजी सदस्य की मौत होने पर पूरे धार्मिक रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। शुक्रवार को केदारेश्वर गो आश्रम चौरा में वेद लक्षणा गाय सुरभि गाय की मौत होने पर उन्होंने गौ माता का अंतिम संस्कार पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ करके पशु पक्षियों के साथ मधुर संबंधों की एक मिसाल पेश की है।
गौ आश्रम में गाय की मौत हो गई तब पूर्व सरपंच रतन देवासी और समस्त चौरा वासियों ने एक नई पहल करते हुए गाय को भारतीय संस्कृति के अनुसार दफनाने का कार्य किया। गाय को चुनरी उढ़ाकर व गाय माता का श्रंगार किया। साथ ही महिलाओं ने लोक गीत गाकर गऊ माता को अंतिम विदाई दी। गाय की अंतिम विदाई में हेमराज चौधरी, मनोहर सिंह, मोहन सियाग, मोहन लाल, बाबू लाल, पेमा राम, उम्मेद सिंह, दलपत जी, टिकमा राम जेसीएम वाला, लक्ष्मण मेघवाल,सोनाराम, रूगा राम, रमेश चौधरी, वना राम, वेला राम, भगा राम, श्रीराम, जोगाराम, मदन सुथार, वर्धाराम व सुरजपुरी सहित सैकड़ों ग्राम वासियों ने गौ माता के लिए केदारेश्वर गौ आश्रम चौरा में वेद लक्षणा सुरभि का मुक्तिधाम बनाया जाएगा।