कृषि रक्षा अधिकारी ने बताये फसल को सुरक्षित रखने के तरीके।
संजीव कुमार हम भारती न्यूज सीतापुर ।
सीतापुर के जिला कृषि रक्षा अधिकारी शिवशंकर ने बताया की फसलो को वर्तमान समय में वातावरण में अत्यधिक आर्द्रता एवं तापमान में गिरावट होने के कारण फसलो पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है जिसको देखते हुये फसलो की सुरक्षा के निम्न उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
1.आलू का पछेती झुलसा-यह फफूंद से लगने वाला रोग है।इस बीमारी का प्रकप,आलू की पत्ती तने तथा कनदो पछेती झुलसा के लिए सभी भागो पर होता है।
नियंत्रण- पछेती पछेती झुलसा के बचाव के लिए किसान भाई कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50 प्रति डब्ल्यूपी मात्रा 2 ग्राम 2 किलोग्राम अथवा मैनकोज़ेब 75 परसेंट डब्ल्यूपी मात्रा 2 किलोग्राम को 750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 8 से 10 दिन के अंदर पर छिड़काव करें।
2.गेहूं के गेरूई रोग- काली पीली एवं भूरे रंग की होती है यह फफूंद जनित रोग है फफूंद के प्रकोप के कारण पत्तियों पर फफोले पड़ जाते हैं जो बाद में भी बड़ कर अन्य पत्तियों को प्रभावित करती हैं ।काली गेरुई तने तथा पत्तियां दोनों को प्रभावित करती है ।
नियंत्रण के लिए प्रॉपिकॉनाजोले 25% ईसी मात्रा 500ml प्रति हेक्टेयर को 750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें इसी प्रकार के होंगे।
3. गेहूं की फसल में सकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75% +मेटसल्फ्यूरान 5% डब्लू पी मात्रा 40 ग्राम को 350 से 400 लीटर पानी में खोल बनाकर सकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु क्लोडिनाफॉप 15% +मेटसल्फ्यूरान 1% डब्ल्यू पी की 400 ग्राम मात्रा को 375 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
4. मटर की फसल में बुकरी निरोग इस रोग में पत्तियों तना एवं फलियों पर सफेद दिखाई देते हैं जिससे बाद में पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं नियंत्रण बुक निरंतर है नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80% डब्लू डीजी 2 किलोग्राम ट्रेडिंग फॉर्म 25% डब्ल्यूपी मात्रा ढाई सौ ग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति हेक्टेयर को लगभग 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें ।
5. राई सरसों की फसल में सफेद गिरूई रोग हीरो सिरोही उद्योग में पत्तियों के नेता पर फफोले बनते हैं जिसमें पत्तियां पीली होकर सूखने लगती है फुलाने की अवस्था में पुष्कर विकृत हो जाता है जिसमें कोई फली नहीं बनती है नियंत्रण इसरो के नियंत्रण हेतु 75% की मात्रा 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।