हम भारती न्यूज़
मंडल ब्यूरो चीफ राजेश्वर सिंह
संभल से खास खबर
सोत नदी के जीणोद्धार में संभलवासियों द्वारा किए गए सामाजिक सेवा कार्य को मा. पीएम ने "मन की बात" कार्यक्रम में किया जिक्र*
मा.प्रधानमंत्री द्वारा सोत नदी हेतु जनभागीदार कार्य को सुनकर जनपदवासी हुए गौरवान्वित
जिलाधिकारी के पहल पर सोत नदी जीणोद्धार अभियान संभल को मन की बात कार्यक्रम द्वारा देश भर में मिली नई पहचान
मेरे प्रिय परिजनो, ये आज़ादी का अमृतकाल देश के हर नागरिक के लिए कर्तव्य का काल भी है। अपने कर्तव्यों का पालन करके ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। कर्तव्य की भावना हम सभी को एक साथ बांधती है। यूपी के संभल में देश ने कर्तव्य बोध का एक ऐसा उदाहरण देखा है, जिसे मैं आपके साथ भी साझा करना चाहता हूं। जरा सोचिए...70 से ज्यादा गांव, हजारों की आबादी और सभी लोग एक साथ आकर एक लक्ष्य हासिल करने के लिए एकजुट हो जाएं...ऐसा कम ही होता है, लेकिन संभल के लोगों ने ये कर दिखाया है। इन लोगों ने मिलकर जनभागीदारी और सामूहिक प्रयास की अद्भुत मिसाल कायम की है। दरअसल, दशकों पहले इस इलाके में 'सोत' नाम की एक नदी हुआ करती थी. अमरोहा से निकलकर संभल से होते हुए बदायूं तक बहने वाली यह नदी कभी इस क्षेत्र में जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी। इस नदी में लगातार पानी बहता रहता था, जो यहां के किसानों के लिए खेती का मुख्य आधार था। समय के साथ नदी का प्रवाह कम हो गया, जिन रास्तों से नदी बहती थी उन पर अतिक्रमण हो गया और यह नदी विलुप्त हो गई। नदी को मां मानने वाले हमारे देश में संभल के लोगों ने सोत्रिवर को भी जीवित करने का संकल्प लिया है। पिछले साल दिसंबर में 70 से अधिक ग्राम पंचायतों ने मिलकर सोत नदी के पुनर्जीवन का काम शुरू किया था। ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया। आपको जानकर खुशी होगी कि साल के पहले छह महीने में ही इन लोगों ने 100 किलोमीटर से ज्यादा नदी का जीर्णोद्धार कर दिया है। जब बरसात का मौसम शुरू हुआ तो यहां के लोगों की मेहनत रंग लाई और सोत नदी पानी से लबालब भर गई। यहां के किसानों के लिए यह बहुत बड़ी खुशी का अवसर बनकर आया है। लोगों ने नदी के किनारे 10 हजार से ज्यादा बांस के पौधे भी लगाए हैं, ताकि इसके किनारे पूरी तरह सुरक्षित रहें. नदी के पानी में तीस हजार से ज्यादा गंबूसिया मछलियां भी छोड़ी गई हैं ताकि मच्छर न पनपें. साथियों, सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार करके बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं। सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं। सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं। कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आसपास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं।