Type Here to Get Search Results !

https://www.facebook.com/humbharti.newslive

सारण में कालाजार उन्मूलन को लेकर 20 प्रखंडों के 239 गांवों में होगा दवा का छिड़काव

 हम भारती न्यूज़ 

संवाददाता मोहम्मद अशरफ जिला ब्यूरो चीफ सारण बिहार 





सिंथेटिक पाराथाइराइड दवा का छिड़काव हुआ शुरू


अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर दिया गया है प्रशिक्षण


आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर छिड़काव से पूर्व देंगी सूचना


कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर है सारण जिला


छपरा। कालाजार के खात्मे के लिए जिले में विभागीय स्तर पर कवायद जारी है। लोगों को जागरूक करने से लेकर कालाजार की रोकथाम के लिए कीटनाशक के छिड़काव का काम शुरू कर दिया गया है। जिले के 20 प्रखंडों के 239 गांवों में कालाजार उन्मूलन को लेकर दवा का छिड़काव किया जायेगा। फिलहाल कुछ प्रखंडों मे दवा का छिड़काव शुरू किया जा चुका है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 20 प्रखंडों के 157 पंचायत में 239 गांवों के 176275 घरों में दवा का छिड़काव किया जायेगा। इसके लिए 52 टीम का गठन किया गया है। अभियान 18 फरवरी से शुरू होकर 19 अप्रैल अगले 60 दिनों तक प्रथम चरण का छिड़काव होगा। छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें, घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर 6 फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं एवं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें, छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें,ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस.पी) का असर बना रहे। इस दौरान लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने, घरों के आसपास साफ-सफाई रखने और नालियों को साफ रखने के लिए स्वास्थ्य कर्मी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। ताकि, लोगों को वेक्टर जनित रोग जैसे कालाजार, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए प्रेरित किया जा सके।

कालाजार के कारण :

वीडीसीओ अनुज कुमार  ने बताया कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :

कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये  की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।


कालाजार के लक्षण :

लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना

वजन में लगातार कमी होना

दुर्बलता

मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना

व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है

प्लीहा में नुकसान होता है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies