राजपूताना राइफल्स के वीर
नायक सुरेन्द्र सिंह अहलावत (वीरगति प्राप्त)
03 मई 1999 को एक चरवाहे ने बटालिक सेक्टर की पहाडियों में कुछ पाकिस्तानी लोगों को देखा। उसे पहाडियों के ऊपर कुछ गड़बड़ लगी। उसने वहां से वापस जाकर इसकी सूचना भारतीय सेना की 3 पंजाब रेजिमेंट को दी। इस सूचना की पुष्टि के लिए 3 पंजाब रेजिमेंट के कुछ जवान उस चरवाहे के साथ बतायी हुई जगह पर गये और छानबीन की। सैनिकों ने देखा कि पहाडियों पर कुछ लोग घूमते हुए दिखायी पड़ रहे हैं। सैनिकों ने वापस जाकर इस घटना की खबर अपने उच्च अधिकारियों को दी। लगभग दो बजे एक हेलीकाप्टर से उन पहाड़ियों पर नजर दौडाई गयी। तब जाकर पता चला कि बहुत सारे पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है।
फोटो - नायक सुरेन्द्र सिंह अहलावत के साथ 12 जून को वीरगति को प्राप्त हुए 2 राजपूताना राइफल्स के वीर सपूतघुसपैठियों के वेष में धोखेबाज पाकिस्तानी सैनिक कारगिल स्थित द्रास, मश्कोह घाटी, बटालिक आदि अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अपना ठिकाना बनाकर पूरी सामरिक तैयारी के साथ आक्रमण के उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसी क्रम में 05 मई को स्थिति का जायजा लेने के लिए एक पेट्रोलिंग पार्टी भेजी गयी। जिसे पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया और उनमें से 05 सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी गयी। 3 पंजाब ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी और 07 मई 1999 तक घुसपैठ की पुष्टि हो गयी। 3 इन्फेंट्री डिवीजन के मुख्यालय ने तत्काल कारवाई शुरू कर दी। 26 मई को भारतीय वायुसेना ने “सफेद सागर” नाम से अपना अभियान शुरू किया।
कारगिल में जो कुछ देखने को मिल रहा था उससे पता चल गया कि वह अपने नियमित सेना का प्रयोग करके नियन्त्रण रेखा को बदलने की पाकिस्तान की सोची समझी योजना का हिस्सा है। यह भी स्पष्ट था कि जिन चोटियों पर दुश्मन ने कब्जा कर लिया था उन्हें खाली कराने के लिए संसाधन और अच्छी तैयारी की आवश्यकता होगी। शुरूआती दिनों में दुश्मन को भगाने के जो प्रयास किये गये, उनमें काफी संख्या में हमारे सैनिक हताहत हुए।
2 राजपूताना राइफल्स 81 माउंटेन ब्रिगेड का हिस्सा थी । 04 जून 1999 को इसे द्रास क्षेत्र में तैनात किया गया। द्रास में 18 ग्रिनेडियर्स तोलोलिंग पर कब्जा करने के लिए तीन प्रयास पहले ही कर चुकी थी। 02 जून को 18 ग्रिनेडियर्स ने तोलोलिंग पर कब्जा करने के लिए अपना चौथा प्रयास किया। भारी प्रतिरोध का सामना करते हुए वह 10 जून तक ऐसे स्थान पर पहुंच गयी, जो पाकिस्तानी पोजीशन से लगभग 30 मीटर नीचे था। 2 राजपूताना राइफल्स ने 12 जून को तोलोलिंग पर कब्जा करने के लिए उस स्थान को एक मजबूत आधार के रूप में प्रयोग किया।
12 जून 1999 की रात में 2 राजपूताना राइफल्स की "चार्ली कंपनी" ने मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में तोलोलिंग पर हमला किया, नायक सुरेन्द्र सिंह इस दल का हिस्सा थे। पाकिस्तानी तोपखाने और स्वचालित हथियारों से की जा रही भारी फायरिंग के बावजूद, नायक सुरेन्द्र सिंह और उनके साथी दुश्मन के करीब पहुँचने में सफल रहे। जैसे ही उनका दल आड़ से निकलकर खुले में आया , उनके ऊपर दुश्मन की ओर से भारी गोलीबारी होने लगी। कंपनी के तीन सैनिकों के घायल होने के बाद, हमला अस्थायी रूप से रोक दिया गया। यह जानते हुए कि खुली जगह में, दुश्मन की गोलीबारी के बीच रहना और अधिक नुकसान का कारण बनेगा, मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में जोश से भरे सैनिकों ने दुश्मन की स्थिति पर तीव्र हमला बोल दिया । दोनों ओर से भीषण गोलीबारी होने लगी, इसी दौरान दुश्मन की ओर से हो रही भारी गोलीबारी के दौरान, नायक सुरेन्द्र सिंह बुरी तरह से घायल हो गए और घायल होने के बावजूद वह लड़ते रहे । घाव गहरी होने और तीव्र रक्तश्राव के चलते वह वीरगति को प्राप्त हो गए । इस हमले में नायक सुरेन्द्र सिंह के अलावा, मेजर विवेक गुप्ता, सूबेदार भंवर लाल, सूबेदार सुमेर सिंह , सी एच एम यशवीर सिंह , हवलदार सुल्तान सिंह नरवाल, नायक चमन सिंह , लांसनायक बचन सिंह, राइफलमैन जसवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हुए।
नायक सुरेंद्र सिंह का जन्म जनपद बुलंदशहर के गांव सैदपुर में श्रीमती कलावती अहलावत और श्री अमीचंद अहलावत के यहाँ हुआ था । उन्होंने अपनी शिक्षा अपने गांव से पूरी की और भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हो गए । राजपूताना राइफल्स सेंटर दिल्ली से प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात वह 2 राजपूताना राइफल्स में तैनात हुए । इनके परिवार में इनके माता पिता और इनकी पत्नी श्रीमती राजबाला, दो पुत्रऔर एक पुत्री हैं । नायक सुरेंद्र सिंह की वीरता और बलिदान की याद में इनके गांव सैदपुर के स्कूल के प्रांगण में इनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है ।
- हरी राम यादव
सूबेदार मेजर (आनरेरी)
7087815074