नवाब फारूख अशरफ ने कछौछा शरीफ दरगाह पर चलाया लंगर
समाज सेवा का एक ऐसा जुनून जिसे देखकर हर कोई हो जाता है कायल
जब बाबा बुलाते हैं तो चला जाता हूं कछौछा शरीफ- नवाब फारूख अशरफ
हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
गोरखपुर समाज में ऐसे युवा है जिनके सिर पर समाज सेवा का ऐसा जुनून सवार है कि वह हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं मदद करने वाले उसका जात धर्म नहीं पूछते बल्कि इंसानियत का पैगाम देते हुए।
अंबेडकर जिले में स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी(र.अ) की दरगाह से हमेशा मोहब्बत, भाईचारा और इंसानियत का पैगाम मिलता है, सच्चे मन से यहां आने वाले लोगों की मन्नत मुरादे पूरी होती है यही वजह है कि यहां पर सभी धर्म संप्रदाय के लोग अपनी जायज मुरादों को लेकर आते हैं कोई बीमारी से निजात पाने, नौकरी पाने, शादी विवाह या औलाद के लिए लोग मन्नत को लेकर आते हैं और बाबा उनकी जायज़ मुरादों को पूरा करते है।
गोरखपुर जिले का युवा समाजसेवी नवाब फारूख अशरफ भी हमेशा कछौछा शरीफ जाते हैं और वहां पर वह गरीब बेसहारा लोगों के लिए लंगर का आयोजन करते हैं इस लंगर में सैकड़ो की संख्या में लोग एक कतार में खड़े होकर लंगर लेते हैं लंगर लेने वालों से उनका धर्म या मजहब नहीं पूछा जाता है बल्कि देखा जाता है कि वह इंसान असल में भूखा है और उसे खाने की जरूरत है तो उसे खाना मुहैय्या(उपलब्ध) कराया जाता है। मजहब कोई भी हो ,इंसान एक ही है हर दुखी परेशान इंसान यहाँ उम्मीद लेकर आता है ।
नवाब फारूख अशरफ ने कहा कि मेरे वालिद पूर्व पार्षद अशरफ अली ने मुझे हमेशा यही सिखाया है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता है और एक इंसान को दूसरे इंसान की मदद जरूर करनी चाहिए। अगर अल्लाह ने आपको दौलत दी है तो खूब दिल खोल कर खर्च करें जितना खर्च करेंगे अल्लाह आपको उससे अधिक दौलत देगा क्योंकि यह दौलत उन गरीबों पर खर्च करने से अल्लाह बहुत खुश होता है।
समाज में बहुत से बड़े पैसे वाले लोग हैं मगर अफसोस है कि उनके पास दिल नहीं है क्योंकि किसी को देने के लिए बड़ा दिल करना पड़ता है कोरोना काल के दौरान हम लोगों ने देखा कि किस तरीके से लोगों ने दिल खोलकर एक दूसरे की मदद की चाहे वह आम इंसान हो ,पुलिस अधिकारी या बड़ा उद्योगपति हो सबने अपना खजाना खोल दिया था। लेकिन जैसे ही कोरोना काल समाप्त हुआ लोगों का दिल भी छोटा हो गया अब लोग किसी की मदद करने से हिचकते हैं अगर आप किसी एक की मदद करेंगे और उसका परिवार मजबूत होगा तो वह चार लोगों को नई जिंदगी देगा क्योंकि अभी भी अपने देश में बहुत से लोग जो एक-एक दाने-दाने के लिए तरसते हैं उनका परिवार एक टाइम भोजन करता है । छोटे से घर में लोग रहते हैं आधा परिवार सोता है तो आधा परिवार जगता है । कछौछा शरीफ दरगाह पर जब भी आता हूं तो यहां पर लंगर का आयोजन करता हूं क्योंकि मेरे मां-बाप ने मुझे सिखाया है कि जरूरतमंदों की मदद करो अल्लाह तुम्हें और देगा। न जाने किस फकीर की कब दुआ लग जाए और आपका रुका हुआ काम आसान हो जाए।