गुरु पूर्णिमा पर गुरु और शिष्य दोनों भूमिका में निभाएंंगे योगी, कर सकते हैं रुद्राभिषेक
हम भारती न्यूज़ से जिला गोरखपुर थाना गोरखनाथ रिपोर्टर विवेक कुमार श्रीवास्तव
सनातन संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा को प्रतिष्ठित करने वाली गोरक्षपीठ में हमेशा की तरह इस बार भी गुरु पूर्णिमा पर्व श्रद्धा, भक्ति व हर्षोल्लास के वातावरण में मनाया जाएगा।
गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले शिष्य की भूमिका में रहेंगे और अपने पूर्ववर्ती गुरुजनों की विधि-विधान से पूआ-अर्चना करेंगे।
शिष्य परंपरा निभाने के बाद गुरु की भूमिका आ जाएंगे और अपने शिष्यों व पीठ के श्रद्धालुओं को आशीर्वचन से अभिसिंचित करेंगे। इन दोनों भूमिकाओं को निभाने के लिए मुख्यमंत्री बुधवार की शाम गोरखपुर आ रहे हैं।
वैसे तो गोरखनाथ मंदिर में गुरु महिमा की मंगलध्वनि निरंतर गुंजायमान रहती है लेकिन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह बेहद खास हो जाती है। इसलिए नाथ परंपरा मुख्य रूप से गुरुगम्य मार्ग है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है। गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है।
योगी गुरुवार को महायोगी गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन कर नाथपंथ के गुरुजन के प्रति श्रद्धा निवेदित करेंगे। परंपरा के मुताबिक गुरु गोरक्षनाथ को रोट अर्पित करेंगे। गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गोरखनाथ मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीरामकथा की पूर्णाहूति भी गुरुवार को होगी।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाएगा। गोरक्षपीठाधीश्वर सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे। उन्हें रोट चढ़ाएंगे। इसके बाद नाथपंथ के सभी योगियों की समाधि स्थली और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होगा। पूजा के अंत के सामूहिक आरती होगी।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाएगा। गोरक्षपीठाधीश्वर सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे। उन्हें रोट चढ़ाएंगे। इसके बाद नाथपंथ के सभी योगियों की समाधि स्थली और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होगा। पूजा के अंत के सामूहिक आरती होगी।
गुरु पूजन के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर पीठ के साधु-संतों के बीच आएंगे। बारी-बारी से सभी शिष्य गोरक्षपीठाधीश्वर को तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। गोरक्षपीठाधीश्वर अन्य श्रद्धालुओं को भी आशीर्वाद देंगे। आशीर्वचन के बाद मंदिर में सहभोज का आयोजन किया जाएगा।