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पितरों को प्रसन्न करने का महापर्व पितृपक्ष 8 सितम्बर से प्रारम्भ



पिंडदान से प्रसन्न होते हैं पितर:  ज्योतिषाचार्य पं बृजेश पाण्डेय


हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर


गोरखपुर  भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री ज्योतिषचार्य पं. बृजेश पाण्डेय के अनुसार श्री शुभ संवत् 2082 शाके 1947 याम्यायन सौम्यगोलः वर्षा ऋतुः भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा 7 सितम्बर दिन रविवार को महालयारंभ हो रहा है। पं. बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा मे ही महालयारंभ होता है।

पितृपक्ष कृष्णपक्ष से आरंभ होता है और अमावस तक रहता है। जिसका मृत्यु शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ होता है उस जीव के लिए महालयारंभ के दिन ही श्राद्ध करने का शास्त्रीय विधान है तथा पूर्णिमा तिथि यानि भाद्रपद मास की पूर्णिमा मे नांदी मातामह श्राद्ध भी करने का शास्त्रीय मत है। तत्पश्चात आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपदा से पितरों के निमित्त एवं सप्तऋषि,भीष्म आदि का तर्पण आरंभ कर अमावस्या तक करने का शास्त्रीय मत है। कहीं कहीं लोकाचार अनुसार तिथि तक तर्पण कर पिंडदान आदि करके समापन कर देते हैं, जबकि कथा पुराणों के अनुसार पिंडदान आदि क्रिया तिथि पर करें परंतु तर्पण अमावस्या तक करें,उसके बाद ही पितरों की बिदाई करें। पं बृजेश पाण्डेय ने यह भी बताया कि पितरों की श्राद्ध श्रद्धा से करने से सभी मनोरथ कार्य पूर्ण होते हैं। पितृपक्ष मे पितरों के प्रसन्नता के लिए पितृगायत्री का जप तथा विष्णु सहस्रनाम का पाठ कराना चाहिए और त्रिपिंडी कराते रहना चाहिए। पितृपक्ष में बगलामुखी,नवग्रह मंत्र का जप,महामृत्युंजय मंत्र का जप राहु, केतु, शनि का जप भी कराना श्रेयष्कर होता है। जो व्यक्ति देवी देवताओं की पूजा पाठ करके थक गये है व कोई कार्य नही बन रहा है तो समझ जाए कि पितृदेव प्रसन्न नही है। इसलिए पितृपक्ष मे तन मन धन से पितरों को प्रसन्न करने का कार्य करें। पितरों के प्रसन्नता से कुल की बृद्धि,धन की बृद्धि,वंशबृद्धि मे आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती है और सभी रुके हुए कार्य बनने लगते है। साथ ही ज्योतिषाचार्य ने यह भी बताया कि जिस प्राणी की अकाल मृत्यु जैसे वाहन से,पेड पर से गिरने से,नदी तालाब आदि मे डूबने से,अस्पताल मे तथा हत्या इत्यादि से मृत्यु को प्राप्त किये जीव के लिए नारायणबलि एवं त्रिपिंडी अवश्य कराएं। प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितम्बर

सोमवार,द्वितीया श्राद्ध 9 सितम्बर मंगलवार,तृतीया श्राद्ध 10 सितम्बर

बुधवार,चतुर्थी श्राद्ध 11 सितम्बर  बृहस्पतिवार,पंचमी एवं षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर शुक्रवार,

सप्तमी तिथि का श्राद्ध 13 सितम्बर शनिवार,अष्टमी तिथि का श्राद्ध 14 सितम्बर रविवार को मनाया जायेगा। इसीदिन महिलाएं अपने पुत्र की लम्बी उम्र एवं दीर्घायु के लिए जीवत्पुत्रिका व्रत रहेगीं। नवमी तिथि का श्राद्ध 15 सितम्बर सोमवार को किया जाएगा। जित्पुत्रिका व्रत का पारण 15 सितम्बर को प्रातः 6 बजकर 27 मिनट के बाद करना श्रेयस्कर होगा। इसी दिन मातृनवमी का श्राद्ध भी किया जाएगा। दशमी का श्राद्ध 16 सितम्बर मंगलवार,एकादशी

तिथि का श्राद्ध 17 सितम्बर को तथा इसीदिन विश्वकर्मा पूजा तथा इंदिरा एकादशी व्रत भी किया जाएगा। द्वादशी तिथि का श्राद्ध 18 सितंबर बृहस्पतिवार,

त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध एवं प्रदोष व्रत 19 सितम्बर शुक्रवार,चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध व शस्त्र घात से मरे प्राणी का श्राद्ध 20 सितंबर शनिवार को किया जाएगा। अमावस्या तिथि का श्राद्ध एवं अज्ञात तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर रविवार को किया जाएगा तथा महालय की समाप्ति एवं पितरों का विसर्जन हो जाएगा।

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