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रेडियों पर गूंजे गर्ग के छंद सृजन

रेडियों पर गूंजे गर्ग के छंद सृजन


जालौर- वेदाग्रणी कला एवं सांस्कृतिक संस्थान जालौर द्वारा संचालित रेडियो वी वन 90.1 पर राजस्थान के विख्यात युवा साहित्यकार व कवि श्री भारमल गर्ग ने काव्य पाठ किया कवि ने हास्य दोहे, श्रंगार व प्रेरणादायक कविताएं सुनाकर लाखों श्रोताओं को मन विभोर कर दिया। रेडियो जॉकी व डारेक्टर अनिल शर्मा ने बताया कविता को विधाओं में लाने के लिए महत्वपूर्ण है, साहित्य साधना अब और युवाओं को आगे आना चाहिए। गर्ग ने अपनी कविता से देश का जवान शहीद होकर जब तिरंगे में लिपटा घर आता है तो उसकी पत्नि किस प्रकार विलाप करती है । जब बंद संदूक को देखती है तो अपने जीवन का सर्व श्रेष्ठ हिस्सा पिछे छूट गया यह ही सदैव याद रहता है। पत्नि पर व्यंग्य करते हुए कवि ने कहा सांसारिक बंधनों में प्रेम अति आवश्यक है, झगड़े में भी प्रेम छुपा होता है। जीवन और मरण दोनों व्यंक्ति के मन की पीड़ा है इस पीड़ा से मुक्ति होकर जीवन को रस आनंद संजोना ही जब मनुष्य जीवन से नाराज हो जाता है उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है तो वह सिर्फ कर्म करें अच्छे कर्म से ही भगवान मिलते हैं और भगवान हमेशा सफल बनाते हैं। कवि ने कविता के माध्यम से कहते है ज्ञान के सागर तो मीरा, प्रेमचंद, शेक्सपियर, सुमित्रानंदन, गोपाल दास नीरज, दिनकर, गालिब,


सूरदास, तुलसीदास में एक बूंद प्यास हूं जो इसको पढ़कर वह भी मिट जाती है गर्ग बचपन से ही अपने मामा मोतीराम साथ ज्यादा रहें है जो अध्यापक है साहित्य क्षेत्र में हमेशा उनका साथ देते हैं । काव्य की तनिक भी अशुद्धि हो उसका सुधार भागीरथ गर्ग जो राजस्थान पुलिस विभाग में सेवा दे रहे वो कराते हैं इस लिए सामान्य गांव से ज्ञान लेकर आज युवा देश में अपना साहित्य योगदान दे रहे हैं और इनकी कविताएं विदेशों में पढ़ी जाता है।

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