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महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय ने मंगलवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्‍टैंडिंग (एमओयू) कोविड मरिजो के इलाज के करने के लिए साइन किया

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 महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय ने मंगलवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्‍टैंडिंग (एमओयू) कोविड मरिजो के इलाज के करने के लिए साइन किया

 गोरखपुर इस एमओयू के तहत दोनों संस्थाएं चिकित्‍सा शिक्षा और मरीजों के इलाज के मोर्चे पर मिलकर काम करेंगी। महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय की ओर से कुलपति मेजर जनरल (डॉ.) अतुल वाजपेयी और बीआरडी मेडिकल कालेज की ओर से प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने दस्‍तखत किए। इस दौरान महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय के रजिस्‍ट्रार डॉ. प्रदीप राव और बीआरडी की ओर से डॉ. अमरेश सिंह और डॉ. राजकुमार की भी मौजूदगी रही।
डॉ.प्रदीप राव ने बताया कि कोविड के बढ़ते मामलों के बीच इस एमओयू के साइन हो जाने से मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी। महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय अपने दो सौ बेड के अस्‍पताल और एलोपैथ और आयुर्वेद के करीब 50 डाक्‍टरों की टीम के साथ बीआरडी और एम्‍स गोरखपुर के साथ मिलकर काम करेगा। उन्‍होंने बताया कि महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय में 200 बेड का ऑक्‍सीजन युक्‍त अस्‍पताल तैयार है। जरूरत पड़ने पर कभी भी इन संसाधनों का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।
मालूम हो कि 9 जनवरी 2022 को ही महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय और एम्‍स गोरखपुर के बीच एमओयू साइन हुआ था। डॉ.प्रदीप राव ने बताया कि जल्‍द ही गोरखपुर जिला चिकित्‍सालय और आयुष विश्‍वविद्यालय के साथ भी ऐसे ही करार किए जाएंगे। उन्‍होंने बताया कि इसके पीछे कोशिश गोरखपुर की स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी सभी संस्‍थाओं को एक समूह से जोड़ने की है। इस समूह में शामिल सभी संस्‍थाएं स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, शोध और हर तरह की चिकित्‍सा चुनौती से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करेंगी। फेकेल्‍टी, अकादमिक एक्‍सचेंज से लेकर सभी उपलब्‍ध संसाधनों की साझेदारी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चिकित्‍सा के क्षेत्र में कोई प्रश्‍न रहस्‍य न रह जाए और किसी मरीज का इलाज सुविधाओं के अभाव में बाधित न हो। इससे चिकित्‍सा के छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और मरीजों को बड़ा फायदा होगा।
इसे ऐसे समझना चाहिए कि ये पूल बनने के बाद यदि किसी एक संस्‍था में कोई मरीज जाता है और वहां बेड उपलब्‍ध नहीं है तो जिस दूसरी संस्‍था में बेड उपलब्‍ध है वहां उसे भर्ती करा दिया जाएगा। इसी तरह यदि एलोपैथी की चिकित्‍सा ले रहे किसी मरीज को आयुर्वेद की भी सहायता की आवश्‍यकता है तो जहां ये सुविधा उपलब्‍ध है वहां से उसे मिल जाएगी। ऐसे ही किसी रोग विशेष में इन संस्‍थाओं में से जहां विशेषज्ञ उपलब्‍ध होंगे उनकी सेवा ली जा सकेगी। वास्‍तव में इससे होगा ये कि मरीज एक बार किसी भी संस्‍था में पहुंच गया तो फिर उसकी चिकित्‍सा के किसी बिंदु पर विशेषज्ञता, जांच सुविधा या संसाधनों की उपलब्‍धता की बाधा नहीं आएगी। उसे मजबूरन किसी दूसरे बड़े शहर रेफर करने की नौबत नहीं आएगी। पूल में शामिल सभी संस्‍थाएं उसकी चिंता करेंगी। इसी तरह चिकित्‍सा के क्षेत्र में नित्‍य सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए सभी संस्‍थाएं मिलकर शोध की दिशा में आगे बढ़ेंगी। एक-दूसरे से ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगी और प्रयास करेंगी। हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला चीफ ब्यूरो धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


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