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मजबूर होकर हरिजन, दलित वृद्ध व विधवा श्यामा देवी को चौकी बरावां के सामने धरना पर बैठना

 न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद विपक्षियों व उनके साथियों के गुण्डई का मिशाल निर्माण कार्य निर्विरोध चलना



जिसकी संरक्षण चौकी बरावां के कुछ सम्भ्रान्त कर्मचारियों द्वारा किया जाना


मजबूर होकर हरिजन, दलित वृद्ध व विधवा श्यामा देवी को चौकी बरावां के सामने धरना पर बैठना


हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


जौनपुर जनपद के थाना मीरगंज  चौकी बरावां के अन्तर्गत ग्राम बरावां की निवासिनी श्यामा देवी पत्नी स्व0 पन्ना लाल पुत्र स्वर्गीय रामदेव ग्राम सभा रामगढ़ के आराजी नम्बर 37/28 में जरिए बैनामा रजिस्ट्री कतवारु पुत्र भवानी भीख से 8/8/1994 में लिया गया था जिसका दाखिल खारिज भी हो चुका है उसके बावजूद अमर बहादुर, सन्तोष व रमाशंकर पुत्रगण वंशीलाल अपने कुछ दबंग साथियों के साथ जो अपराधी प्रवृत्ति के है जबरन कब्जा किया जा रहा है जिसकी पूर्व सूचना सम्बन्धित अधिकारियों को प्रार्थना पत्र के माध्यम से दिया जा चुका है उसके बावजूद  निर्माण कार्य दबंगों द्वारा तेजी से किया जा रहा है श्यामा देवी अपनी समस्या को लेकर गई तो दीवान ने कहा कि स्थगन आदेश फर्जी हैं इस पर श्यामा देवी ने कहा कि आप लिखकर दे दे कि यह आदेश फर्जी हैं तो मैं चली जाऊँगी इस पर दीवान जी ने कहा कि कि मैं नहीं लिखूंगा श्यामा देवी मजबूर होकर चौकी के सामने बैठ गई और कहीं कि जब साहब आ जाएंगे और मुझे न्याय मिलेगा तभी मै चौकी से जाऊँगी काफी समय बाद जब चौकी प्रभारी श्री चन्द्रकेश शर्मा चौकी पर पहुंचे और पूछे माता क्या बात हैं आप चौकी के सामने क्यों बैठी है तो श्यामा देवी ने अपनी आप बीती सारी बातों को बताई उस पर चौकी प्रभारी चन्द्रकेश ने कहा कि आप चौकी के सामने न बैठें मैं आपके साथ अन्याय नहीं होने दूंगा तब जाकर चौकी से श्यामा देवी अपना धरना बन्द करके चली गई जब घर पहुची तो तबतक दबंगों ने अपने सहयोगियों के साथ काफी निर्माण करा चुके हैं। 

जब चौकी प्रभारी बरावां श्री चन्द्रकेश शर्मा से जरिए टेलीफोन से पूछा कि ऐसा क्या बात है तो उन्होंने कहा कि मैं माता जी को समझाया भी हूँ और वहाँ पर पहले से उन लोगों का कब्जा है फिर भी मैंने दोनों पक्षों को 151 में चालान कर दिया है और न्यायालय के अगले आदेश आने तक यथावत स्थिति बनाए रखे। 

इस सन्दर्भ में श्यामा देवी ने कहा कि मैं जब से जमीन ली थी वहाँ पर किसी प्रकार का कोई कब्जा नही था लेकिन हम दलित और असहाय महिला होने के कारण मैं मार पीट नहीं कर सकती इसलिए मैं अधिकारियों के पास दौड़ रही थी इसी का फायदा उठाकर और चौकी के कुछ सम्भ्रान्त कर्मचारियों के मिली भगत से निर्माण कार्य किया ऐसा कुछ भी नहीं है जो पहले से बना था।

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