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मखदूम अशरफ की दरगाह पर मिलता है रूहानी सकून

 हम भारती न्यूज़


संवाददाता मोहम्मद अशरफ जिला ब्यूरो चीफ सारण बिहार


मखदूम अशरफ की दरगाह पर मिलता है रूहानी सकून



सारण जिले के गरखा प्रखंड के पत्रकार मोहम्मद अशरफ व अन्य लोगों ने मखदूम अशरफ की दरगाह पर चादर पोशी की। और देश में अमन चैन सुकून के लिए दुआ मांगी। और कहा अल्लाह के वलियों ने अपना पूरा जीवन अल्लाह और मानवता की सेवा में गुजार कर दीन व दुनिया दोनों में अपना नाम रौशन किया। उन्हीं वलियों में हजरत मखदूम सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानी है। उनका जन्म 1387 ई. मे सिमनान में बादशाह के यहां हुआ। हजरत सैयद अशरफ ने चौदह साल की उम्र में तमाम इल्म हासिल कर लिया। पंद्रह साल की उम्र में बादशाह बने। कुछ समय हुकूमत करने के बाद अपने छोटे भाई सुल्तान मोहम्मद आरफ को बादशाहत सौंप कर 23 साल की उम्र में सिमनान छोड़ हिन्दुस्तान आ गए। यहां मोहब्बत, भाईचारा व एक दूसरे की मदद की तालीम दी। 1487 ई.में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। और उत्तर प्रदेश के किछौछा शरीफ के अम्बेडकर नगर में आये जहां मजार है। जहां जिस्मानी व रूहानी तौर पर लोगों को शिफा मिलता है।

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