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प्रेसवार्ता के बाद पिटाई से युवक हुआ लहूलुहान

 प्रेसवार्ता के बाद पिटाई से युवक हुआ लहूलुहान



कोतवाली पुलिस पर लगाया दहेज उत्पीड़न का 4 बार मुकदमा दर्ज करने का आरोप


आखिर घटना स्थल पर जाने से शहर कोतवाल को परहेज़ क्यों


हम भारती न्यूज़ से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


गोरखपुर। मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है जहां प्रेस वार्ता करके वापस आ रहे एक युवक पर हमला करके उसे बुरी तरह घायल कर दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एहतेशाम पुत्र रियाज अहमद निवासी मुहल्ला मियांबाजार दक्षिणी अपने पिता के कारोबार में हाथ बटाता है। एहतेशाम की शादी दिनांक 18 मार्च 2018 को कुशनुमा फिरोज से मुस्लिम रिति रिवाजो से हुई थी।

प्रेस वार्ता में एहतेशाम का कहना था कि विवाह के 15 दिन के बाद उसका तलाक हो गया। तब से हम दोनो अलग-अलग रह रहे हैं। जिसके कारण मेरे उपर खुशनुमा फिरोज ने मुझे व मेरे परिवार

को परेशान व हैरान करने के लिए स्थानीय पुलिस से साजिश कर के तरह-तरह से मुकदमा कराती रहती है। एक ही घटना को लेकर खुशनुमा फिरोज ने 18 मुकदमा उत्पीड़न का कराया है। जिसमें प्रार्थी माननीय उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत प्राप्त किया था। लेकिन प्रार्थी को बेज्जत करने के लिए पुलिस से मिलकर 498ए का तीन मुकदमें समेत 12 मुकदमे सन् 2018 से लेकर 2022 तक दर्ज कराया गया। 

एहतेशाम ने यह भी आरोप लगाया कि खुशनुमा फिरोज  का सभी प्रार्थना पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नाम से है। कार्यालय में इनका कोई अपना आदमी है जो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को गुमराह करके तरह-तरह के मुकदमे कायम कराता है। 

वहीं इस मामले में कोतवाली पुलिस कटघरे में नज़र आ रही है क्योंकि एहतेशाम के खिलाफ पिछले माह जो अंतिम मुकदमा लिखा गया उसमें प्रार्थना पत्र 17 अक्टूबर को दिया गया और त्वरित कार्यवाही करते हुए 20 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जबकि इस तरह के मामले में इतनी जल्दी मुकदमा दर्ज नही होता बल्कि जांच की एक लंबी प्रक्रिया के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाता है।

बहरहाल एहतेशाम के जिस्म से खून बहता रहा लेकिन शहर कोतवाल ने पिछले मामलों की तरह सरकारी जीप होते हुए भी घटना स्थल पर जाना मुनासिब नही समझा । आखिर घटना स्थल पर जाने से कोतवाल साहब को परहेज़ क्यों है ? 

जबकि कोतवाली थाने की सरकारी जीप का इस्तेमाल कोतवाल साहब के लिए नगर निगम गेट के अलावा घोष कम्पनी चौराहे के पास से चाय आदि लाने के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है। अगर मामले की जांच की जाए तो रास्ते के अलावा चाय की दुकान के पास लगे सीसीटीवी कैमरे से आरोप की पुष्टि की जा सकती है। साथ ही कोतवाल साहब के साथ बैठकर चाय पीने वाले भी इससे अच्छी तरह से वाकिफ होंगे।

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