वक़्फ़ के सफेदपोश लुटेरों की जमात में अपराधी और माफिया भी शामिल
करोड़ो की वक़्फ़ सम्पत्ति बेचने के अलावा मस्जिद को भी किया गायब
हम भारती न्यूज़ से गोरखपुर मण्डल ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
गोरखपुर । रेलवे और सेना के बाद पूरे भारत में सबसे ज़्यादा ज़मीने वक़्फ़ की हैं। अकेले गोरखपुर जिले में ही वक़्फ़ बोर्डों के अंतर्गत अभिलेखों में एक हज़ार से ज़्यादा वक़्फ़ दर्ज हैं जिनकी कुल सम्पत्ति हज़ारों एकड़ में है लेकिन ये सारी वक़्फ़ संपत्तियों पर अब अपराधी और वक़्फ़ माफियायों का या तो कब्ज़ा है या फिर ऐसे लोगों की नज़र इन सम्पत्तियों पर है। सबसे बड़ी बात ये है कि वक़्फ़ की देख रेख के लिए ज़िम्मेदार बनाये गए लोगों ही वक़्फ़ सम्पत्ति को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया रहे हैं।
आपको बता दें कि पूरे भारत में वक़्फ़ की सम्पत्तियां दो हिस्सों में बंटी है। हर राज्य में इनकी देखरेख के लिए सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड और शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड मौजूद हैं।
बात गोरखपुर की करें तो यहां स्थित वक़्फ़ नम्बर 67 इमामबाड़ा स्टेट गोरखपुर ही नही बल्कि पूर्वांचल के सबसे बड़ा वक़्फ़ में शामिल है जिसके पास आज भी हज़ारों एकड़ की सम्प्पति है।
इसके अलावा अंजुमन इस्लामिया भी बड़ा वक़्फ़ है जिसके अंतर्गत दर्जनों वक़्फ़ हैं जिनकी सम्पत्तियों का अंदाज़ लगाना मुश्किल है, ये दोनों सम्पत्तियां सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज है।
वहीं शिया वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज वक़्फ़ नम्बर 1524 वक़्फ़ अशरफुननिश खानम बोर्ड के अधिलेखों में दर्ज सम्पत्ति के आधार पर गोरखपुर का तीसरा सबसे बड़ा वक़्फ़ है। इस वक़्फ़ के अंतर्गत गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज सन्तकबीरनगर, सिद्धार्थनगर जिले में करोड़ों की सम्पत्ति वक़्फ़ अभिलेखों में दर्ज है। वक़्फ़ में मौजूद रिकार्ड की बात करें तो गोरखपुर शहर के शेखपुर, बसन्तपुर, तुर्कमानपुर मोहल्लों में ही करोड़ों के मकानात व जमीनें इस वक़्फ़ का हिस्सा थी जिसे या तो बेंच दिया गया या फिर लोगों ने कब्जा कर लिया। वही दीवान बाजार में 22 बीघा और मुहूई सुधुरपुर लगभग सवा बीघा की आराजी वक़्फ़ अशरफुननिश खानम की अभिलेखों में दर्ज हैं। इन तमाम सम्पत्तियों को इसकी देख रेख की ज़िम्मेदारी सम्भालने वालों ने अपने और अपने परिवार के नाम सम्पत्तियों में दर्ज करा लिया और बहुत सी सम्पत्तियों को बेंच कर करोड़ों का चूना वक़्फ़ के साथ साथ सरकार को लगा दिया।
आज वक़्फ़ के सफेदपोश लुटेरों ने वक़्फ़ सम्पत्तियों में लूट को और आसान बनाने के लिए अपराधी और माफियाओं को भी साथ जोड़ लिया जिससे अमन पसंद लोगों ने विरोध करना बंद कर दिया ।
जिसका लाभ उठाते हुए इन सम्पत्तियों में मौजूद मस्जिद को भी ऐसे लोगों ने नही छोड़ा। आज हालत ये है कि जिस मस्जिद में कभी रमज़ान के महीने में एक दिन नमाज़ के साथ इफ्तार का आयोजन किया जाता था उसे अब न सिर्फ बन्द कर दिया गया बल्कि अभिलेख से मस्जिद को गायब करा दिया गया। हालांकि पुराने दस्तावेजों में अभी भी मस्जिद का वजूद बाक़ी है।