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वीरगति दिवस पर विशेष कैप्टन आयुष यादव

 वीरगति दिवस पर विशेष


कैप्टन आयुष यादव



हमारा देश भारत प्राकृतिक विविधताओं से भरा पड़ा है । जहाँ एक ओर तपता रेगिस्तान है वहीं दूसरी ओर इतनी सर्दी है कि मुंह से थूकने पर थूक भी जम जाता है और गहरी खाईयोँ का तो कहना ही क्या । वह इतनी गहरी हैं कि बर्फ पिघलने पर नीचे कुछ भी नहीं दिखाई देता । कच्छ के रण की खारी हवा तो शरीर में दरार पैदा कर देती है । इन प्राकृतिक विविधताओं का सामना प्रकृति कि अनोखी कृति  का वह सदस्य करता है जिसे हम सैनिक कहते हैं।  इस सैनिक के सामने एक ओर शरीर को घायल करने वाली यह तमाम प्राकृतिक विविधताए होती हैं और दूसरी ओर सामने होता है दुश्मन,  लेकिन वह इन सबके सामने निश्चिंत होकर सीना ताने खड़ा, लड़ता रहता है ।


जम्मू कश्मीर का क्षेत्र बंटवारे के तुरंत बाद से ही पाकिस्तानी द्वारा की जा रही गलत हरकत से पीड़ित रहा है । आए दिन भारतीय सेना का सामना पाकिस्तान द्वारा भेजे दहशतगर्दो से होता रहता है ।  खासकर तब और ज्यादा जब बर्फ पिघल जाती है और लिए बर्फीले मार्ग खुल जाते हैं । वैसे तो सीमा पार से आतंकवादी कई रास्तों से घुसपैठ करते हैं लेकिन कुपवाड़ा का एरिया नियंत्रण रेखा को पार करने के लिए आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे अधिक घुसपैठ वाले मार्गों में से एक है । 


  27 अप्रैल 2017 को तीन आतंकवादी जंगली रास्तों को पार कर पहाड़ों से नीचे आए और लगभग 4.30 बजे पंचगाम में सेना की यूनिट की ओर बढ़े। उन्होंने सैन्य यूनिट के चारों ओर लगी कंटीली बाड़ को काटना शुरू किया । ड्यूटी पर तैनात संतरी  ने कुछ संदिग्ध गतिविधि देखी और उन्हें चुनौती दी। कंटीले तारों की बाड़ को काटकर अंदर घुसे तीनों आतंकवादियों ने संतरी  पर गोलीबारी करना शुरू कर दी और आवासीय क्वार्टर  की ओर भागने की कोशिश करने लगे । गोलियों की आवाज सुनकर उस यूनिट के जवान हरकत में आ गए ।

गोलियों की आवाज सुनकर चौकन्ने कैप्टन आयुष यादव भी जाग गए और उन्होंने तुरंत अपना हथियार उठाया और बाहर निकल गए । उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझा और  जिधर से आवाज आ रही थी उस ओर दौड़ पड़े । उन्होंने देखा कि तीन दहशतगर्द आवासीय क्वार्टर की ओर बढ़ रहे हैं’ । उन्होंने सोचा कि यदि यह आतंकवादी आवासीय क्वार्टर में घुस गए तो भारी जनहानि हो सकती है । कैप्टन आयुष  ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए आतंकवादियो पर भीषण गोलीबारी शुरू कर दी । दोनों ओर से हो रही भीषण फायरिंग होने लगी । इस बीच  कैप्टन आयुष गंभीर रूप से घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भी  कैप्टन आयुष यादव ने आतंकवादियों  का आगे बढ़ना रोक दिया ।  कैप्टन आयुष की इस प्रभावी कार्यवाही के कारण  त्वरित प्रतिक्रिया दल  को पहुँचाने के लिए पर्याप्त  समय मिल गया । त्वरित प्रतिक्रिया दल ने पहुँचते ही मोर्चा संभल लिया ।  दोनों ओर से भीषण फायरिंग होने लगी, 35 मिनट तक चली भीषण मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे  गए । ज्यादा चोटों के कारण  कैप्टन आयुष यादव वीरगति को प्राप्त हो गए. ।   इस आपरेशन में इनकी यूनिट के ही सूबेदार भूप सिंह और नायक  वेंकट रमना भी वीरगति को प्राप्त हो गए । कुपवाड़ा में पंचगाम  में सेना के जिस कैंप पर हमला हुआ था वह सेना की 68वीं ब्रिगेड थी ।


  कैप्टन आयुष यादव ने इस आपरेशन में जिस वीरता और पराक्रम का परिचय दिया वह सेना के लिए एक मिसाल है ।  उन्होंने सेना के आदर्श वाक्य “सर्विस बिफोर सेल्फ” को चरितार्थ कर दिया । उन्होंने अपने कर्त्तव्य को सर्वोपरि समझा और देश की रक्षा में अपने प्राणों के आहुति दे दी ।


कैप्टन आयुष यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में 24 अगस्त 1991 को  श्रीमती सरला यादव और श्री अरुण कांत यादव के यहां हुआ था। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, डिफेन्स कॉलोनी, कानपुर तथा  बी सी ए की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय से पूरी की और  एम सी ए कि शिक्षा के लिए एन आई टी जमशेदपुर में प्रवेश लिया । इसी बीच इनका चयन भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में हो गया । 30 दिसंबर 2012 को यह भारतीय सैन्य अकादमी के 134वें कोर्स में शामिल हुए । प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात इन्हे आर्टिलरी रेजिमेंट की 310 फील्ड रेजिमेंट में कमीशन मिला । कैप्टन आयुष यादव बॉक्सिंग और फुटबॉल के एक अच्छे खिलाडी भी थे । उन्होंने अपने स्कूलों  में बॉक्सिंग और फुटबॉल के कम्पटीशन  में कई मैडल भी जीते थे  ।  


        इनकी वीरता और बलिदान को याद रखने के लिए कानपुर कैंट में स्थित शहीद स्मारक में इनकी प्रतिमा लगाई गई है और कानपुर में गोविन्द नगर पुल का नामकरण इनके नाम पर किया गया है । इसके अलावा इनकी यूनिट में इनकी प्रतिमा स्थापित की गई है । इनके परिजनों द्वारा प्रतिवर्ष इनके वीरगति दिवस पर कानपुर में डिबेट कम्पटीशन, फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है । जिसमे जनपद कानपुर के विभिन्न स्कूलों कि टीमें भाग लेते हैं । कैप्टन आयुष के  26वें जन्मदिन के मौके पर उनके माता-पिता उस सेण्ट जोसेफ सीनियर सेकेण्डरी स्कूल में गए  जहां उनके बेटे ने प्रारम्भिक शिक्षा हासिल की थी और एक गरीब बच्ची की पढाई का जिम्मा लिया।


       कैप्टन आयुष यादव कि परिवारिक पृष्ठभूमि सेना की रही है। सेना के ही रहन सहन को देखकर ही वह बड़े हुए थे।  उनके बाबा बी एल यादव ब्रिटिश सेना  में अफसर थे और चाचा तरुण कांत यादव एयर फोर्स में वारंट अफसर तथा ताऊ कृष्ण कांत यादव जूनियर वारंट अफसर रहे हैं। इनके पिता श्री अरुण कांत यादव उत्तर प्रदेश  पुलिस से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर हैं  और  इनकी बहन श्रीमती रूपल यादव बैंक में पदस्थ हैं।


- हरी राम यादव

7087815074

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