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जब अंग्रेज अफसर ने चलाई देवी की पिंडी पर गोलियां

 जब अंग्रेज अफसर ने चलाई देवी की पिंडी पर गोलियां



हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर


फरेंदा महराजगंज हिंदू धर्म के ग्रंथों और पौराणिक शास्त्रों में ऐसे कईं मंदिर और धार्मिक स्थलों का वर्णन किया गया है जिनका निर्माण रामायण और महाभारत के समय हुआ है। माना जाता है ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनका निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया है, जिनमें से बहुत से ऐसे मंदिर है जिनसे संबंधित पौराणिक कथाएं और मान्यताएं रहस्यमयी के साथ-साथ अविश्वसनीय भी है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां महाभारत के पात्र भीम ने देवी के पिंडी रूप की स्थापना की थी।


बताते चलें कि गोरखपुर से 51 कि.मी. दूर पवह नदी के तट पर शक्तिपीठ माता आद्रवासिनी लेहड़ा देवी का मंदिर स्थित है। मान्यता है पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अपना अधिक समय यहां इसी स्थान पर बिताया था। कहा जाता है कि भीम ने इस मंदिर में पिंडी की स्थापना की थी और इसी स्थान पर पांडव मां जगदंबा की अराधना किया करते थे। माना जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती है।


कुछ पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार एक समय यहां पवह नदी बहा करती थी और जो आज भी नाले के रूप में मंदिर के पीछे मौजूद है। वहीं कुछ किंवदंतियों की मानें तो देवी जगदंबा सुंदर कन्या के रूप में नाव की मदद से नदी पार कर रही थीं। मां के इस सुंदर और आकर्षित रूप को देखकर नाविक ने गलत भावना से उन्हें स्पर्श करने की कोशिश की। जिससे माता जगदंबा क्रोध में आ गई और उन्होनें अपना क्रूर रूप धारण कर लिया। माता का ये रूप देखकर नाविक सहम गया और वह अपनी गलती का अहसास करता हुआ माता के चरणों में गिर गया और माफी मांगने लगा। नाविक को ऐसे देख माता उस पर तरस आ गया और उन्होनें उसे माफ करते हुए वरदान दे दिया कि आद्रवन शक्तिपीठ पर दर्शन करने वाले भक्त तुम्हारे दर्शन करने भी जरूर आएंगे।


इसके अलावा मंदिर को लेकर एक और कथा प्रचलित है जिसके मुताबिक बर्तानिया शासन में एक दिन सैन्य अधिकारी शिकार करते हुए इस मंदिर में आ पहुंचा। मंदिर पर भक्तों की भीड़ देखकर उसने पिंडी पर गोलियों की बौछार कर दी। जिससे वहां खून की धारा बहने लगी। खून देख कर अंग्रेज अफसर बहुत ज्यादा घबरा गया और डरकर वापिस लौट गया। कहा जाता है कि जब वह वापिस कोठी की तरफ आ रहा था तभी घोड़े सहित उसकी मौत हो गई थी। लोक मान्यता के अनुसार इस अंग्रेज अफसर की कब्र मंदिर से 1 कि.मी दूर पश्चिम में स्थित है।

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