हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
महाराजगंज घुघली डिजिटल वर्ल्ड में बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म एक बड़ी चिंता बनता जा रहा है। चूंकि, तकनीक अब हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है, इसलिए यह समझना भी आवश्यक है कि यह हमारे बच्चों के विकास को कैसे प्रभावित करती है। मनोरोग चिकित्सक डाक्टर शुभम पांडेय ने बताया कि कम उम्र के बच्चों में टेक्नोलॉजी से चिपके रहने की वजह से वर्चुअल ऑटिज्म विकसित हो रहा है।वर्चुअल ऑटिज्म से बच्चों का विकास प्रभावित हो रहा है, जिससे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। अगर आप अपने बच्चे को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो आपको इस वर्चुअल ऑटिज्म के बारे में जरूर जानकारी होनी चाहिए।वर्चुअल ऑटिज्म एक ऐसी कंडीशन है जो तीन साल से कम उम्र के बच्चों में देखी जाती है। स्क्रीन के बहुत ज्यादा पास रहने या स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने की वजह से ऐसा होता है। जब बच्चा बहुत देर तक टीवी या स्क्रीन को देखता है, तो उसमें ऑटिज्म के जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं।स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर और टेलीविजन सहित अत्यधिक स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
इसकी वजह से बच्चे वास्तविक दुनिया से दूर रहते हैं और अपने आसपास के लोगों से आमने-सामने बैठकर बात कम करते हैं। यह चीज उनके आवश्यक सामाजिक कौशल और भावनात्मक समझ के विकास में बाधा डालती हैं औरऑटिज्म को विकसित करती है।