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वक़्फ़ लुटेरों के चंगुल से आज़ाद हुआ अंजुमन इस्लामियां, नई कमेटी ने किया कार्यभार ग्रहण

 वक़्फ़ लुटेरों के चंगुल से आज़ाद हुआ अंजुमन इस्लामियां, नई कमेटी ने किया कार्यभार ग्रहण




जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की मौजूदगी में कमेटी के नए अध्यक्ष अनस चौधरी ने लिया चार्ज


किरायेदारों को नोटिस जारी कर नई कमेटी के पास किराया जमा करने और रसीद लेने को कहा गया


हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर


गोरखपुर आखिरकार वक़्फ़ लुटेरों को दरकिनार करते हुए अंजुमन इस्लामियां, ख़ूनीपुर की नई कमेटी ने कार्यभार संभाल लिया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित अंजुमन इस्लामिया की नव नियुक्त कमेटी

ने अंजुमन इस्लामिया में बृहस्पतिवार को जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की मौजूदगी में अपना पदभार ग्रहण किया। इसके साथ ही अंजुमन इस्लामिया के गेट और नोटिस बोर्ड पर नोटिस चस्पा किया गया साथ ही वक़्फ़ अंजुमन इस्लामियां के किराएदारों को भी नोटिस भी जारी किया जिसमें किराएदारों ये निर्देशित किया गया कि अब वो अपना किराया नवनियुक्त कमेटी  के सदस्य को दे और उनसे अध्यक्ष और सेक्रेटरी द्वारा हस्ताक्षर की गई रसीद भी ले।

आपको बताते चलें कि गोरखपुर शहर के अलावा आस पास के इलाकों में अंजुमन इस्लामिया की बहुत सी सम्पत्ति है जिसपर किरायेदार आबाद हैं। 

सालों से यह वक़्फ़ एक परिवार के चंगुल में था जिसमें कई अन्य सफेदपोश हिस्सेदार भी थे। सबसे बड़ी बात ये है कि अंजुमन इस्लामियां के नाम पर मकानों और दुकानों का किराया वसूला जाता रहा। तमाम दुकानें मोटी रकम लेकर पगड़ी पर दी जाती रही लेकिन वक़्फ़ अभिलेखों में इसका कोई हिसाब किताब मौजूद नहीं ।

जानकारों का यहां तक कहना है कि 38 साल से न तो वक़्फ़ बोर्ड से कोई पत्राचार किया गया और न ही कोई रकम वक़्फ़ बोर्ड में जमा की गई।

इससे पूर्व भी आपको जानकारी दी जा चुकी है की1986 में चौधरी अब्दुल रहमान की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन वक़्फ़ बोर्ड ने किया था। 29 जून 1989 को कमेटी का कार्यकाल पूरा होने के बाद किसी भी नई कमेटी को बोर्ड द्वारा मान्यता नही दी गई। वहीं दूसरी तरफ अंजुमन इस्लामिया का अंतिम आडिट 1986 में हुआ।

हैरानी की बात ये है कि अंजुमन इस्लामिया की तरफ से 1986 के बाद सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड से किसी भी तरह का न तो पत्राचार किया गया और न ही बोर्ड में कोई अंशदान ही जमा किया गया। इसके अलावा अंजुमन इस्लामिया के नाम पर जो निर्माण हुआ उसके लिए वक़्फ़ बोर्ड से किसी भी तरह की कोई परमिशन नही ली गई । कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा वक़्फ़ अंजुमन इस्लामिया की सम्पत्ति को निजी सम्पत्ति बनाकर करोडों रुपये का वारा न्यारा कर लिया गया।

बीते 13 दिसम्बर 2024 को सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड द्वारा नई कमेटी को तौलियत प्रमाण पत्रजारी कर दिया गया। जिसके बाद से ही अंजुमन इस्लामिया का कार्यभार नई कमेटी ने अपने हाथों में लेने की कवायद शुरू कर दिया था।

कार्यभार ग्रहण करने के दौरान कमेटी के अध्यक्ष अनस चौधरी, सेक्रेटरी नूरुल हक के अलावा उपाध्यक्ष मोहम्मद फारुक, सदस्य हाफिज बदरुद्दीन  और अन्य लोग मौजूद रहे।

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