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आओ बादल गाँव हमारे, तुमको खेतिहर रोज पुकारे।

 आओ बादल गाँव हमारे



आओ बादल गाँव हमारे,  

    तुमको खेतिहर रोज पुकारे।

बिन बूंदों के खेत सूख रहे, 

     निराशा उपज रही सकारे।

मंहगे  मंहगे  बीज खरीदे, 

      खाद के लिए हाथ पसारे।

जैसे तैसे धान लगाया,

     तुम बिन उसको कौन संभारे।।


तुम बिन सूखी ताल तलैया, 

     दादुर, मोर, भोर सुहानी।

कूप तड़ाग बाग़ सब व्याकुल , 

     होती देख उन्हें हैरानी ।

बादल अपने दल संग आओ, 

     लेकर संग में खूब पानी, 

झमक के बरसो गांव हमारे, 

     जीवित हो जाए किसानी।।


     - हरी राम यादव 

       बनघुसरा, अयोध्या 

       7087875074

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