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*एम्स गोरखपुर में पहली बार सूजनयुक्त आंत्र रोग या आंतों का सूजन संबंधी रोग (IBD) के इलाज में बड़ी उपलब्धि

 *एम्स गोरखपुर में पहली बार   सूजनयुक्त आंत्र रोग या आंतों का सूजन संबंधी रोग (IBD) के इलाज में बड़ी उपलब्धि



हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर


*गोरखपुर, 23 जुलाई 2025* — अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई कामयाबी हासिल हुई है। यहां पहली बार छोटी आंत से पाउच बनाकर मलद्वार से जोड़ने की सर्जरी, Ileal Pouch Anal Anastomosis* (IPAA) नाम की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। यह सर्जरी उन मरीजों के लिए की जाती है जो Inflammatory Bowel Disease (IBD) से पीड़ित होते हैं और जिनका इलाज दवाओं से संभव नहीं होता।


एम्स गोरखपुर में इससे पहले भी चार Subtotal Colectomy सर्जरी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं। इस उपलब्धि के साथ अब पूर्वांचल के मरीजों को जटिल आंत की बीमारियों का इलाज अपने ही क्षेत्र में मिल सकेगा।


यह सर्जरी मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम (MDT) के प्रयासों का परिणाम है, जिसमें सर्जरी विभाग, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग और एनेस्थीसिया विभाग ने मिलकर काम किया।


*सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. गौरव गुप्ता* ने कहा, “यह हमारे विभाग और संस्थान के लिए गर्व की बात है। अब हम IBD के जटिल मरीजों का बेहतर इलाज दे सकते हैं।”


*गैस्ट्रो विभाग के प्रो. डॉ. सौरभ केडिया* ने बताया, *“IBD का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं होता। जब दवाएं असर नहीं करतीं, तब सर्जरी की जरूरत पड़ती है। हम हर मरीज की स्थिति के अनुसार इलाज की योजना बनाते हैं।”*जीवनशैली में क्या बदलाव करें?

IBD से पीड़ित मरीजों को अपने खानपान और जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने चाहिए:

✔️ सादा, सुपाच्य भोजन लें 

✔️ तेल, मसाले, तले हुए और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचें

✔️ ज्यादा पानी पिएं, हाइड्रेटेड रहें

✔️ धीरे-धीरे खाएं और खाना अच्छी तरह चबाएं

✔️ तनाव कम करें – योग, ध्यान या हल्की कसरत मददगार हो सकती है

✔️ धूम्रपान और शराब से बचें

✔️ नियमित फॉलो-अप और दवा का पालन करें


*एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. भूपेंद्र* ने कहा कि इस तरह की लंबी और जटिल सर्जरी के दौरान मरीज की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होता है। ऑपरेशन के दौरान नाड़ी, रक्तचाप और सांस की लगातार निगरानी की जाती है।


*सर्जरी करने वाली टीम में* डॉ. रवि गुप्ता, डॉ. आशीष मिश्रा, डॉ. स्वाति और डॉ. हर्षा जागनानी शामिल रहे। एनेस्थीसिया टीम में डॉ. शांतोष, डॉ. भूपेंद्र, डॉ. आशीषुतोष और डॉ. नीरज ने अहम भूमिका निभाई।


डॉ. रवि गुप्ता ने बताया कि 

इस सर्जरी में तीन चरण होते हैं:


1. पहले चरण में बड़ी आंत को निकाल दिया जाता है।

2. दूसरे में छोटी आंत से एक पाउच बनाया जाता है और उसे गुदा से जोड़ा जाता है।

3. तीसरे चरण में बाहर निकाले गए रास्ते (स्टोमा) को बंद किया जाता है, ताकि मरीज बिना बाहरी स्टोमा बैग के सामान्य रूप से मल त्याग कर सके। 

*संस्थान की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता (सेवानिवृत्त)* ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा, “यह सर्जरी पूर्वांचल के लिए एक नया अध्याय है। मरीजों को अब जटिल इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। हम पूरी टीम को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई देते हैं।”


*मरीज की कहानी:*

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले का 16 वर्षीय युवक, जिसे गंभीर अल्सरेटिव कोलाइटिस था, को अक्टूबर 2024 में एम्स लाया गया। पहले चरण में उसकी आपातकालीन सर्जरी की गई। फिर 9 महीने तक पोषण, दवाएं और स्वास्थ्य में सुधार लाने पर ध्यान दिया गया। अंततः 17 जुलाई 2025 को दूसरी सर्जरी कर IPAA प्रक्रिया पूरी की गई। अब मरीज स्वस्थ है और तेजी से ठीक हो रहा है।


*IBD क्या है?*

IBD यानी Inflammatory Bowel Disease एक पुरानी बीमारी है जिसमें आंतों में बार-बार सूजन होती है। इसके लक्षणों में बार-बार दस्त, खून आना, पेट दर्द, वजन घटना, और थकान शामिल हैं। दवाओं से इलाज न होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।


*इस सर्जरी का महत्व:*

IPAA सर्जरी से मरीज को स्टोमा बैग से छुटकारा मिल सकता है और उसकी जीवन गुणवत्ता बेहतर होती है। यह एम्स गोरखपुर की एक बड़ी उपलब्धि है जो पूर्वांचल के हजारों मरीजों को उम्मीद और राहत देगी।

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