उन सम्पादकों को धन्यवाद, जिन्होंने विश्वविद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और घोटालों से संबंधित हमारी आपत्ति के अति महत्वपूर्ण समाचार को कम-से-कम प्रकाशित तो किया।
लखनऊ उत्तर प्रदेश,
जिन भ्रष्टाचारी संगी-साथियों ने विवि में नियुक्ति का ‘रेट कार्ड’ बना रखा है अब देश का युवा उन भ्रष्टाचारियों से सवाल करने की तैयारी कर रहा है। हर विवि में युवा अपने स्तर से T.I.R में जुट गये हैं। हमारे द्वारा यूनिवर्सिटियों की जांच की माँग और छात्रों की चौकन्नी निगरानी के भय से भ्रष्ट सफ़ेदपोश शिक्षा प्रशासकों व शिक्षा माफ़िया के बीच हड़कंप मच गया है।
कहीं ख़ुद की चोरी न पकड़ी जाए, इस डर से विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों की जांच की ये ‘मुख्य घोषणा’ भी वैसे ही गायब हो जाएगी जैसे इस सरकार के कमीशनखोर IAS व घूसखोर IPS और उन लोगों के दूरस्थ रखे ख़ज़ाने गायब हो गये हैं।
ये छात्रों के अपने भविष्य का गंभीर सवाल है, इसीलिए वो अब सजग, सचेत होकर विश्वविद्यालयों में व्याप्त छोटे-से-छोटे घपले को स्वयं उजागर करेंगे। जब सिटिज़न जर्नलिज्म हो सकता है तो ‘स्टूडेंट जर्नलिज्म’ क्यों नहीं।
भाजपा जाए तो शिक्षा आए!