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मनीषा श्रीवास्तव ने अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के मंच से बाँधा समा

 हम भारती न्यूज़

संवाददाता मोहम्मद अशरफ जिला ब्यूरो चीफ सारण बिहार 


मनीषा श्रीवास्तव ने अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के मंच से बाँधा समा




अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का अमनौर सारण में आयोजित 28वाँ अधिवेशन के सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव ने भोजपुरी लोकगीतों की विभिन्न विधा के गीतों की प्रस्तुति दी। उनकी गायकी ने समा बाँध दिया जहाँ उपस्थित श्रोता झूम उठे। इस अवसर पर कला संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बिहार अरुण शंकर प्रसाद ने मनीषा को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। 


आजु जनकपुर में माड़वा से शुरु कर के हमरा बेटी होई त तोहरा के बुलाइब ननदो से माहौल बनाया। छपरा की धरती पर महेन्द्र मिसिर को याद करते हुए अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया रे गाकर सबको भाव विभोर कर दिया। वहीं भिखारी ठाकुर रचित जाँतसारी डगरिया जोहत ना, पिया गइलें कलकतवा रे सजनी से उनको नमन किया। वीर कुँवर सिंह बायोग्राफी गीत के अलावे भोजपुरी का बेहद रोमांटिक पूर्वी गीत बलमुआ के तलब तब जागेला प्यार के, सड़िया पहिरीं करिया उल्टी पाला मार के से दर्शकों के भीतर ऊर्जा भर दिया।


मनीषा ने बातचीत के क्रम में बताया कि  मैं अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के तमाम पदाधिकारियों के धन्यवाद के साथ विशेष धन्यवाद आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री संजय मयुख जी को देती हूँ, जिनके नेतृत्व में इतना सफल और वृहद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उम्मीद एवं विश्वास है कि आगे भी इनके नेतृत्व में भोजपुरी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के लिए निरंतर इस तरह के कार्यक्रम किए जाते रहेंगे और भोजपुरी भाषा को उसका उचित सम्मान मिलेगा।

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