4 शहरों और एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने 12 घंटे में गैस टैंक से निकाले मजदूरों के शव
सुबह 5 बजे जिला चिकित्सालय में पोस्टमार्टम मृतकों के परिजनों को 12 लाख रुपए सहायता
उज्जैन। घट्टिया गैस प्लांट में टैंक की सफाई के दौरान दो कर्मचारियों के टैंक में गिरने के बाद मौत हो गई। टैंक से शवों को निकालने के लिये चार शहरों और एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया। इन टीमों ने 12 घंटे की मशक्कत के बाद रात 3 बजे टैंक से शवों को निकाला। शवों का जिला चिकित्सालय में सुबह 5 बजे पोस्टमार्टम हुआ। पुलिस की मौजूदगी में शवों का अंतिम संस्कार भी परिजनों द्वारा कर दिया गया।
लाखन सिंह पिता भेरूसिंह निवासी लाम्बीखेड़ा घट्टिया और राजेन्द्र सिंह निवासी जलवा घट्टिया गैस प्लांट में कर्मचारी थे। गुरूवार दोपहर लाखन सिंह गैस टैंक की सफाई कर रहा था उसी दौरान टैंक में जा गिरा। उसे बचाने के चक्कर में राजेन्द्र सिंह भी टैंक में गिर गया। यह देख आसपास काम कर रहे कर्मचारी बड़ी संख्या में एकत्रित हो गये और इसकी सूचना प्लांट प्रबंधन और पुलिस को दी। प्लांट प्रबंधन के अफसरों और पुलिस ने टैंक से शवों को निकलवाने के लिये रेस्क्यू टीमों को सूचना दी।
एसडीओपी आर.के. राय ने बताया कि जिस टैंक में कर्मचारी गिरे थे उसमें 400 टैंकर भरने की क्षमता की गैस भरी थी इस कारण रेस्क्यू के दौरान सावधानी बरतना भी जरूरी था। प्लांट में रेस्क्यू एक्सपर्ट नहीं होने के कारण गुना, नागदा, इंदौर और भोपाल से टीमें बुलाईं गई इसके अलावा एनडीआरएफ की टीम से भी मदद लेकर शवों को टैंक से निकालने का काम शुरू कराया गया। सुबह करीब 2.30 से 3 के बीच लाखन और राजेन्द्र के शवों को टैंक से निकाला गया। शवों को पीएम के लिये जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया।
लाखन ठेकेदारी भी करता था
एसडीओपी आर.के. राय ने बताया लाखन गैस प्लांट में स्वयं काम करता और
मजदूरों को लाने का ठेका भी लेता था। उसके द्वारा लाये गये अनेक मजदूर इस
प्लांट में ठेके पर काम करते हैं। शवों का सुबह पीएम होने के बाद परिजनों
को सौंपा गया जिनका अंतिम संस्कार भी परिजनों द्वारा कर दिया गया है।
गैल ने सूचना मिलते ही उठाये थे मदद के कदम
इंडियन ऑयल के गैस प्लांट में स्थित टैंक में दो मजदूरों के गिरने की सूचना गैल प्रबंधन को शाम 4.45 से 5 बजे के बीच मिली थी। गैल के अफसरों ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही उन्होंने अपने उपकरण घट्टिया गैस प्लांट भेजे और जयपुर स्थित ऑफिस से भी सहायता मांगी। नागदा ग्रेसिम पर भी मदद के लिये फोन किया।
अफसरों के अनुसार जब रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची तो वातावरण में एलपीजी गैस फैली थी इस कारण तुरंत बचाव कार्य शुरू नहीं हो पाया। एसडीएम दुबे ने एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया। उक्त टीम जब यहां पहुंची तब तक वातावरण से गैस की मात्रा कम हो गई और ऑक्सीजन बढ़ गई इस कारण एनडीआरएफ की टीम ने गैल के उपकरणों की मदद से कर्मचारियों के शवों को टैंक से निकाला। इसी संबंध में आज दोपहर गेल प्रबंधन मीडिया से चर्चा भी करेंगे।
सूर्योदय से पहले पीएम
आरएमओ डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद
पीएम नहीं होता। विशेष परिस्थितियों में कलेक्टर के आदेश पर ही पोस्टमार्टम
किया जाता है। कलेक्टर के आदेश पर सुबह 5 बजे शवों का पोस्टमार्टम कर
परिजनों के सुपुर्द किया गया।
परिजनों ने लगाया जाम, प्रबंधन देगा सहायता: लाखन सिंह और राजेन्द्र सिंह की टैंक में गिरने से मौत के बाद एक ओर रेस्क्यू टीमें शवों को टैंक से निकालने के प्रयास कर रही थी वहीं दूसरी ओर मृतकों के परिजन आक्रोशित हो गये और उन्होंने कोटा मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। पुलिस ने स्थिति को संभाला जिसके बाद प्लांट प्रबंधन के अफसरों ने मौके पर पहुंचकर आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया। मृतकों के परिवारजनों को दो-दो लाख की तत्काल सहायता और 10-10 लाख रुपये की बाद में आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया।