माँ सिंह पर सवार हो
पधारो हमारे अंगना
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माँ सिंह पर सवार हो,
पधारो हमारे अंगना।
हाथ में त्रिशूल लिए,
कर धारे लाल कंगना।
दुष्टों का संहार करो,
बन के रिपु दमना।
उनका भी उद्धार करो,
जो है विष बमना।।
बिश्व का कल्याण करो,
दुर्गा का रूप धरो।
हरो माँ समाज से,
अब हर बुरा सपना।
रक्षा करो लाज की,
सकल समाज की।
जो भूल पथ चल रहे,
बनो उनकी पथ गमना।।
बल बुद्धि की बखार हो,
दया की भन्डार हो।
बनाओ मैया बेटियों को,
तुम अपनी सा दिगदर्शना।
लडें भ्रष्ट समाज से,
भिडें हर उलट काज से।
दहेज के लोभियों की,
करें न लोग बन्दना।।
बीच खड़ी दीवार हो,
दूर उनका परिवार हो।
समाज से बहिष्कार हो,
देते बेटियों को जो प्रताड़ना।
मारते है कोख में,
पूजते हर मोक्ष में।
पर चाहते है मां आपसे,
हर मंगल कामना।।
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शारदीय नवरात्रि में आपकी मंगल कामनाओं का आकांक्षी-
हरी राम यादव
ब्यूरो प्रमुख,
नव साहित्य त्रिवेणी