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गांवों में सब्जियों के दाम बढ़ने से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। इससे क्षेत्र के गृहणियों के रसोई का स्वाद खराब हो गया है।

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हम भारती न्यूज़
जिला संवाददाता नीलम यादव इटावा


 मँहगाई से विगड़ा रसोई का स्वाद





इटावा जसवंत नगर क्षेत्र के कस्बों और गांवों में सब्जियों के दाम बढ़ने से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। सब्जियों में टमाटर का भाव लाल हो गया है तो मिर्ची अधिक तीखी हो गई है। इससे क्षेत्र के गृहणियों के रसोई का स्वाद खराब हो गया है।
आसमान छूते सब्जीयों के दाम ने आम आदमी की थाली का स्वाद कसैला बना दिया है। हालत यह है कि थाली में दाल-सब्जी व सलाद देख कंपकपी पैदा हो जा रही है। सब्जियों के मूल्य इसी तरह से बने रहे तो वह दिन दूर नहीं जब लोग रोटी प्याज खाने को विवश हो जाएंगे। अरहर की दाल तो पहले से खून के आंसू रूला रहा है। सब्जियों के सहारे पेट भरने वाले गरीब-गुरबों को महंगाई ने माथ पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं। मार्केट में सब्जियों के दाम सुन कर लोगों की हलक सूख जा रही है।
बरसात के मौसम से लेकर ठंड के शुरुआत तक गांवों में लगभग हर घरों में सब्जियां तैयार हो जाती थी। तोरई, लौकी, टमाटर,  और हरी मिर्च गांवों के छप्परों और आज के समय में किचन गार्डन में तैयार कर ली जाती हैं। इस वर्ष हो रही बरसात के कारण न केवल घरेलू सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई बल्कि किसानों की फसल भी चौपट हो गई है। इसके कारण बाजारों में सब्जी की आवक कम हो गई है।  कस्वा में हरी मिर्च 100 रुपये प्रति किग्रा है तो टमाटर 80से100 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है।प्याज 50और धनियां150से200रुपये प्रति किलो भिंडी50 रुपये किलो,तोरई40से50 रुपये, बैगन50रुपये, सेम100रुपये,बीन्स150रुपये,हरी प्याज 50रुपये, ग्वार फली50रुपये, आलू10से12रुपए किलो बिक रहा है।  मूली और भिंडी 50 रुपये किलो पहुंच गया है। अदरक 50से80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। गोभी 30रुपये से 50 रुपये प्रति नग पहुंच गया है बंद गोभी40से50रुपये किलो, शिमला मिर्च सैकड़ा पार कर गई है  लौकी 20 रुपये प्रति नग हो गई है। टमाटर, मूली, प्याज और मिर्च के भाव बढ़ जाने से क्षेत्रवासी सलाद का स्वाद भूलने लगे हैं। गृहणियां परेशान हैं। मंहगाई के कारण दाल में तड़का लगाना कठिन हो रहा है। क्षेत्रीय लोगों  का कहना है कि यदि यही स्थिति रही तो लोग सब्जी खाना ही भूल सकते हैं।
सब्जियों की बढ़ी कीमतों से लोगों के घर रसोई का बजट गड़बड़ाने लगा है। टमाटर महंगाई से लाल हो गया है। वहीं प्याज खरीदने में लोगों के आंसू निकल रहे हैं। हरी सब्जियों की आवक कम होने व खपत ज्यादा होने से रेटों में बढ़ोत्तरी की दुकानदार कह रहे हैं। सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं। दुकानदारों का मुनाफा भी कम हो गया है। ग्राहकों को सब्जी खरीदने में अधिक जेब ढीली करनी पड़ रही है।
सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बरसात के कारण भाव बढ़े हैं और अभी आगे भी यही स्थिति रहेगी।
चौतरफा महंगाई की मार से घिरे आम आदमी को यह चिंता दिनरात सता रही है कि आखिर वह पेट भरे तो कैसे। महंगाई के मुद्दे पर वे राज्य व केंद्र सकरकार दोनों से निराश हैं। किसान वर्ग जो सब्जी पैदा करने वाले हैं उनको आज भी वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। जबकि किसान के खेत से बाजार में पहुंचते ही सब्जियों के दाम में दुना,तिगुना वृद्धि हो जा रही है।

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