कहां है पशु क्रूरता के लिए बनी SPCA?:हिनियस क्राइम है डॉग ब्रीडिंग, निगरानी के लिए सोसाइटी तो बनी, लेकिन 6 साल में एक भी कार्रवाई नहीं हुई
हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
गोरखपुर के साथ ही पूरे प्रदेश में चल डॉग एंड एनीमल्स के काले कारोबार के लिए जिला प्रशासन भी पूरी तरह जिम्मेदार है। क्योंकि इसकी खरीद- फरोख्त हो या फिर डॉग ब्रीडिंग, इसकी निगरानी के लिए बकायदा हर जिले में कमेटी बनाई गई है।
पशुओं की सुरक्षा के लिए पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा-38 है। इसके तहत सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलटी टू एनीमल्स (SPCA) का प्रदेश के सभी जिलों में गठन करते हुए इसे धरातल पर लागू करना था। 28 जुलाई 2010 को अधिसूचना जारी होने के बाद भी आज तक इस पर कोई कार्रवाई जिला प्रशासन, नगर निगम, पशु पालन विभाग और वन विभाग के जिम्मेदारों ने नहीं की।
जानवरों के शौकीन कुत्ते की खरीदारी और उसकी परवरिश में नियमों की अनदेखी कर रहे हैं
6 साल में एक भी कार्रवाई नहीं
यही वजह है कि पेट शॉप्स पर विदेशी पालतू कुत्तों का बाजार और उनके साथ होने वाली क्रूरता का दौर जारी है। कानून की अनदेखी के चलते पेट शॉप्स का बाजार भी सोशल मीडिया में धड़ल्ले से चल रहा है। SPCA के ग्राउंड लेवल पर इंप्लीमेंट होने से पशुओं का संरक्षण हो सकता है। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि यह कमेटी फिलहाल कागजों में काम कर रही है। 6 साल से बनी इस कमेटी ने एक भी कार्रवाई नहीं की है।
प्रदेश के सभी जिलों में बनना था SPCA
AWBI, भारत सरकार के ऑनरेरी एनिमल वेलफेयर आफिसर डॉ. अमरनाथ जायसवाल ने बताया, गोरखपुर में तेजी के साथ PCA एक्ट का खुला उल्लंघन हो रहा है। इसको धरातल पर लागू करने की जरूरत है। वे बताते हैं कि PCA एक्ट 1960 के तहत प्रत्येक जिले में SPCA (सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल) की स्थापना का प्रावधान है।
पेट डॉग के शौकीन कुत्ते पाल तो रहे हैं लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराते।
DM, SSP, नगर आयुक्त और वन अधिकारी हैं जिम्मेदार
SPCA, DM, SSP, नगर आयुक्त और वन अधिकारी के सहयोग से पशुओं पर हो रहे क्रूरता नियंत्रण और पुनर्वास के लिए काम करती है। इन समितियों का गठन तो हो गया है, लेकिन यह समितियां एक्टिव रूप से कार्य नहीं कर रही है। सरकार को इन समितियों को फंक्शनल बनाने की जरुरत है। साथ ही पब्लिक को भी अवैध व्यापार के खिलाफ जागरूक होने जरूरत है।
प्रशासन ने नहीं किया लागू
सबसे प्रमुख बात यह है कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने कई अधिनियम पास किए हैं। जिसमें प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स (पेट शॉप) रूल्स 2018 और प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग) रूल्स 2017 पर कई अध्यादेश जारी किए जा चुके हैं, जिसका अधिनियम प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन के जिम्मे है कि वह इन नियमों को कितने प्रभावी ढंग से लागू करवाता है।
डॉग ब्रीडिंग मादा कुत्तों पर है अत्याचार
लेकिन सच्चाई यह है कि इन नियमों को अब तक स्थानीय प्रशासन ने धरातल पर इंप्लीमेंट नहीं किया है, जिससे पालतू कुत्तों के क्रय-विक्रय व्यवसाय में असहनीय पीड़ा और ब्रीडिंग कराकर मादा कुत्तों के ऊपर अत्याचार किया जाता है। जो जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम के प्रावधानों का सरेआम उल्लंघन है। इसका नियंत्रण केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार तथा स्थानीय प्रशासन बखूबी से सकता है। वहीं इसकी शिकायत के लिए (animalwelfareboard@gmail.com) पर कर सकते है।
लागू किया जाएगा एक्ट
पशु पालन विभाग के CVO भूपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स रूल्स 2018 और क्रूएलिटी टू एनिमल्स रूल्स 2017 के नियमों को लेकर डीएम के पास फाइल भेजी जाएगी। इसके बाद इसे धरातल पर उतारा जाएगा। टीम की मदद से कार्रवाई की जाएगी।
DM बोले- होगी सख्त कार्रवाई
जबकि गोरखपुर के DM कृष्णा करुणेश का कहना है कि पशु क्रूरता अधिनियम के तहत बनाए गए कानून का सख्ती से पालन कराया जाएगा। कमेटी गठित है। इसकी रिपोर्ट लेकर पशु क्रूरता करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।