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भक्तों की मुराद पूरी करती हैं मां बनैलिया

भक्तों की मुराद पूरी करती हैं मां बनैलिया



हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर


महराजगंज भारत-नेपाल सीमा के करीब बसे नौतनवां कस्बे में बनैलिया माता मंदिर भारत ही नहीं नेपाल के श्रद्धालुओं के आस्था का भी केंद्र है। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ लगती है। विदेश से नेपाल पर्यटन के लिए जाने वाले पर्यटक भी इस मंदिर पर रूकते हैं। मंदिर परिसर में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मन की मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु यहां बार- बार दर्शन-पूजन के लिए आते रहते हैं।


मां बनैलिया मंदिर के प्रबंधक ऋषि राम थापा ने बताया कि जहां आज मंदिर है, वहां पहले जंगल था, यह थारू समाज की जमीन थी। घने जंगल को काटकर किसान केदारनाथ मिश्र खेती करते थे। एक दिन काम करते- करते वह दिन में वह सो गए। उस समय उन्होंने स्वप्न देखा। एक देवी ने कहा कि जहां खेती करते हो वहां मैं निवास करती हूं। उस स्थान पर मंदिर बनवाओ और मैं सबका कल्याण करूंगी।


नींद खुलने के बाद श्री मिश्र अपने घर गए वहां रात को सोए हुए थे। उन्होंने पुनः स्वप्न देखा। सुबह जागकर परिजनों व गांव के लोगों को पूरी कहानी बताई। वर्ष 1888 में उसी स्थान पर एक छोटा सा मंदिर बनाया गया। जंगल होने के कारण उसका नाम वनदेवी दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता था। धीरे धीरे उसका नाम बनैलिया के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


मंदिर के कब कौन पुजारी रहे


वर्ष 1938 में पुजारी रामप्यारे दास आए और 1946 तक पुजारी रहे। दूसरे पुजारी रामप्रीत दास 1946 से 1959 तक रहे। तीसरे पुजारी कमलनाथ 1959 से 1973 तक रहे। चौथे पुजारी महातम यादव 1973 से 1996 तक रहे। उसके बाद पुजारी काशी दास 1996 में आए और 9 वर्ष तक रहे। इन्हीं के देखरेख में पुराने मंदिर के जगह नए मंदिर व नई प्रतिमा का निर्माण हुआ।


हर वर्ष मनाया जाता स्थापना दिवस


20 जनवरी 1991 को नई मूर्ति स्थापित किया गया। तभी से मंदिर परिसर में वार्षिक उत्सव मनाया जाता है। इस बार 20 जनवरी को अब 33 वां वार्षिक उत्सव मनाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि

वार्षिकोत्सव के दौरान समाज के हर वर्ग के लोगों का सहयोग मिलता है। मंदिर परिसर से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है।


कभी पांडवों ने किया था विश्राम


मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव नेपाल के राजा विराट के वहां जाते समय यहां रात्रि विश्राम किए थे। पुजारी जीतेन्द्र पांडे ने बताया कि इतिहास में इन तथ्यों का वर्णन आता है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से मंदिर का विशेष महत्व है। वर्तमान में मनीष वर्मा मां बनैलिया समिति के सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने लिए गए हैं। इस मंदिर के आजीवन संरक्षक पूर्व विधायक कुंवर कौशल उर्फ मुन्ना सिंह हैं जिनकी देख-रेख मंदिर निरंतर प्रगति की तरह बढ़ रहा है। मां बनैलिया मंदिर के अलावा इस परिसर में भगवान परशुराम का नवनिर्मित मंदिर, हनुमान जी का भव्य मंदिर,शिव मंदिर, शनिदेव मंदिर के अलावा कई अन्य मंदिर और धर्मशालाएं,यज्ञ मंडप पूरे मंदिर की शोभा बढ़ाता है। 

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