एक गलती की वजह से पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर के जीवन में पूरी तरह से छा गया अंधेरा
क्या इस कलंक से उबर सकेंगे बेनीगंज के तत्कालीन चौकी प्रभारी आलोक सिंह
इस घटना ने यूपी ही नहीं देश के हर पुलिसकर्मी को सोचने पर किया विवस
हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर
गोरखपुर थाना कोतवाली गोरखपुर में 50 लाख रुपयों के लालच में सरकारी नौकरी दांव पर लगाने वाला दरोगा आलोक सिंह अब जेल में करवटें बदल रहे हैं। चेहरे के भाव से उनके मन की चिंता तो झलकती है, लेकिन जब उनसे कोई गलती पूछता है तो वह साफ इन्कार भी कर देते हैं। वहीं दो महीने पहले ही फरवरी में उनकी शादी हुई थी और अब उनके परिवार से करीबियों ने भी दूरी बना ली है। विभाग के लोग भी उनके परिवार से बातचीत करने में कतरा रहे हैं।
गोरखपुर की बेनीगंज पुलिस चौकी, जहां पर उनकी तैनाती थी, वहां के पुलिसकर्मी आज भी उनकी हरकतों पर चर्चा करते हुए उन्हें कोस रहे हैं। चौकी ही नहीं, उनकी एक करतूत की वजह से गोरखपुर पुलिस भी सवालों के घेरे में है और सब यही कहते सुने जा रहे हैं कि जिस सरकारी नौकरी के लिए लोग लाखों रुपये देने को तैयार होते हैं, वही नौकरी एक गलती की वजह से दांव पर लग गई है।
जेल सूत्रों की माने तो पहले दिन तो वह चाय भी देरी से पीये थे। महज आधा रोटी खाये, लेकिन अब वह खाना खा ले रहे हैं। वह हर समय पूरी तरह से गुमसुम रहते है। जेल प्रशासन के लोग उनसे कुछ पूछने की कोशिश करते हैं तो वह जवाब नहीं देते हैं। बताया तो यह भी जा रहा है, जेल में एक ऐसे आरोपी से भी उनका आमना-सामना हो गया था, जिसे कुछ दिन पहले ही उन्होंने जेल भेजा था और उसने दरोगा आलोक सिंह को चिढ़ा दिया था।
अब दोनों का आमना-सामना न होने पाए, इसकी भी कोशिश जेल प्रशासन कर रहा है। परिवार के कुछ लोगों के साथ पत्नी से बातचीत करने की उन्होंने इच्छा जताई थी। जेल के पीसीओ से उनकी पत्नी के नंबर को सत्यापन के लिए भेजा गया है, ताकि वह बातचीत कर सकें। जेल में पिछले कुछ दिनों के बीच उनसे सिर्फ तीन लोग ही मिलने पहुंचे जो परिवार के ही बताए जा रहे हैं।
परिजनों के सामने छलक गए थे आंसू
उन्हें जेल में कपड़ा देने के लिए गए परिजनों से उनकी मुलाकात हुई तो उनके आंसू छलक गए। भाई उनसे दो बार मुलाकात कर चुका है, उन्हें जरूरत का सामान उपलब्ध कराया, लेकिन भाई से भी वह कुछ ज्यादा बातचीत नहीं किए हैं। कल तक जिस भाई के वर्दी पर गर्व हुआ करता था, उन्हें जेल में देखने के बाद भाई की भी आंखें नम हो गई थी।