प्रदूषण से कराहती आमी के पानी को शौच के बाद छूने से परहेज़ करते हैं लोग
हम भारती न्यूज से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास खबर
खजनी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले गीडा में लगे कल कारखानों से निकलने वाले दूषित व केमिकलयुक्त कचरे से निरंतर बहने वाली अविरल गंगा की सहायक आमी का पानी दूषित होने के साथ ही काला हो गया है। यहां तक कि आचमन को कौन कहे, शौच के बाद पानी छूने से लोग परहेज़ करते हैं। तटवर्ती गांवों के लोग अंतिम संस्कार के बाद स्नान करने से कतराते हैं, साधन संपन्न लोग परिवार में अंतिम सांस लेने वाले सदस्य का राप्ती के तट कालेसर, गोरखपुर के राजघाट, सरयु तट गोला, बड़हलगंज, अयोध्या, मोक्षदायिनी के किनारे बसी काशी (वाराणसी) एवं संगम नगरी इलाहाबाद ले जाकर अंतिम संस्कार करते हैं। गरीब तबके लोग गंगा की सहायक आमी के तट पर ही मजबूरी बस अंत्येष्टि क्रिया करते हैं और सिवान में लगे हैंडपंप या गांव पहुंच स्नान कर शरीर शुद्धि करते हैं।
सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के सिकहरा ताल से निकलकर बस्ती, संतकबीरनगर जिले के कबीर की मोक्षस्ली मगहर से होकर गुजरती हुई गोरखपुर जिले के सोहगौरा के पास राप्ती में मिलने वाली आमी दूषित होने कारण अब धीरे-धीरे दम तोड़ती जा रही है।
बताते चलें कि गोरखपुर जिले सहजनवां तहसील क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद गीडा में स्थापित कारखानों से निकला केमिकलयुक्त कचरा गंगा की सहायक आमी में गिरता है। यहीं से आमी का कराहना शुरू हो जाता है, पानी दूषित होने के कारण जलीय जीवों के लिए काल बन जाता है। जिस कारण वह प्राण त्याग देते हैं। इन दिनों पानी में ऑक्सीजन कम होने के कारण बंसीवट, गाड़र, छताई, नगर पंचायत कस्बा संग्रामपुर उनवल व ढढ़ौना के सिवान में आमी पर बने पुल के नीचे या ईर्द गिर्द मरीं मछलियां प्राण त्यागने के बाद उतरातीं दिख रहीं है।
तटवर्ती गांव के लोगों ने बताया कि प्रदूषण से कराहती आमी के लिए कई बार आंदोलन भी किया गया। लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। पानी दूषित होने के कारण लोगों का रोजगार छिन गया। जिस कारण युवा जीवकोपार्जन के लिए बड़े शहरों को पलायन कर गये। यहां तक की अब जन प्रतिनिधि भी इसे नजरंदाज कर रहे हैं। आमी को निर्मल बनाने के लिये कौन होगा भगीरथ...समय बतायेगा ?