एडवांस टेक्नोलॉजी द्वारा बवासिर के ऑपरेशन की कार्यशाला
हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
गोरखपुर बवासीर जिससे पाइल्स या हीमोराइडर्स कहते हैं, इसके अलावा फिस्चुला जिसे नासूर या भकन्दर भी कहते हैं , फिशर तथा बेरीकोज बेन (नस का गुच्छा) जो अक्सर पैर में पाई जाती है। ये सभी बीमारीयां आदिकाल से चलती आ रही हैं। इनका इलाज बहुत ही जटिल होता है। यह बीमारी बार बार होती है और मनुष्य को बहुत परेशान करती है . आधुनिक विधि द्वारा शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में पहले से ही स्टेपलर तथा लेजर द्वारा इन बीमारियों का सकुशल इलाज किया जाता था। लेकिन तकनीकी ने हर क्षेत्र में अपनी अलग अलख जगह रखी है. नई तकनीकी जिसे रैफेलो प्रोसीजर ( रेडियो फ्रीक्वेंसी अबलेजन) कहते हैं। इस विधि द्वारा इन बीमारियों को लगभग जड़ से ख़त्म कर दिया जाता है।
24 अगस्त, 2025 को शाही ग्लोबल हॉस्टल में इस नई विधि की कार्यशाला का आयोजन किया गया है,और इसी दिन से यह भी विधि लेजर के साथ इन जटिल बीमारियों के इलाज में जुड़ जाएगी।
अभी 20 अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान गोरखपुर। में लेजर तथा स्टिपलर विधि का कार्यशाला किया गया था।
डॉ॰ शिव शंकर शाही सीनियर सर्जन तथा चेयरमैन शाही ग्लोबल हॉस्पीटल ने बताया कि लेजर और स्टेपलर द्वारा ऑपरेशन वह सन् 2005 से करते आ रहे हैं। अभी तक हजारों हजारों ऑपरेशन किए जा चुके हैं लेकिन रेडियो फ्रीक्वेंसी अबलेजन द्वारा इस बीमारी का और सटीक इलाज किया जाएगा। डॉ शाही ने बताया इस तरह की कार्यशाला का एक मात्र उद्देश्य है कि गोरखपुर तथा आस-पास के सर्जन नई नई तकनीकियों विधाओं द्वारा ट्रेन रहें तथा आम जन मानस को इसका फायदा दिलाने में मदद करें।
अगर कोई गरीब मरीज है जो नई तकनीकी द्वारा अपना आपरेशन कराना चाहता है तो 24 अगस्त को फ़ोन कर इनका निशुल्क ऑप्शन किया जाएगा। केवल दवा और जांच का ही पैसा लगेगा अगर आपके पास बवासीर , फिशर फिसुला तथा बेरिकोज वेन का मरीज हो तो उसे शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन कराके 23 अगस्त की शाम को पहुँचाने की कृपा करें ताकि गरीब मरीज तक भी यह सुविधा पहुँचाया जा सके।
आयुष्मान कार्धारकों के लिए यह सुविधा पहले से ही निशुल्क चल रही है और आज भी निशुल्क रहेगी।