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सुख-समृद्धि एवं सम्पन्नता का प्रतीक है धनतेरस पर्व .. ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

 संवाददाता हम भारती न्यूज़
अज़हर शेख , मुम्बई महाराष्ट्र


सुख-समृद्धि एवं सम्पन्नता का प्रतीक है धनतेरस पर्व .. ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री


धनतेरस के दिन देव धनवंतरी जी का जन्म हुआ था. धनवंतरी जी,, देवताओं के चिकित्सक देवता हैं. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है.
धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वन्तरी के साथ श्रीगणेश एवं कुबेर देव की पूजा की जाती है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह मंगलवार 2 नवंबर को है। इस दिन नये उपहार, चांदी के सिक्के, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सप्त धान्यों की पूजा की जाती है, जिनमें गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर मुख्य हैं. सप्त धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्ण पुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्य के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है.
आम तौर पर हर वर्ष धनतेरस के दिन खरीदारी का ख़ास महत्त्व है ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि वह कुछ ऐसी खरीदारी करे जो ना सिर्फ उसके बजट में हो बल्कि उसके अर्थ में वृद्धि भी करे तो आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी से जानते हैं कि धनतेरस में हम क्या खरीदें जिससे जीवन में सुख समृद्धि के साथ सम्पन्नता भी आए.  
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी के अनुसार लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है. इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
धनतेरस की खरीदारी के अलावा पंडित जी हमें यह भी बता रहे हैं कि धनतेरस की पूजा कैसे की जाए:
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी बताते हैं, धनतेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में ही करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं और ध्यान करें,  साथ ही कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर जी का मैं ध्यान करता हूँ.
इसके बाद धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें. और कुबेर मंत्र का जाप करें, जो इस प्रकार है:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा:
धन धान्य और समृद्धि के स्वामी श्री कुबेर जी का यह 35 अक्षरी मंत्र है. इस मंत्र के विश्रवा ऋषि हैं तथा छंद बृहती है. भगवान शिव के मित्र कुबेर इस मंत्र के देवता हैं. कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं. इस मंत्र को उनका अमोघ मंत्र भी कहा जाता है. माना जाता है कि तीन महीने तक इस मंत्र का 108 बार जाप करने से घर में किसी भी प्रकार धन धान्य की कमी नहीं होती. यह मंत्र सब प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने में कारगर है. इस मंत्र में देवता कुबेर के अलग-अलग नामों एवं उनकी विशेषताओं का जिक्र करते हुए उनसे धन-धान्य एवं समृद्धि देने की प्रार्थना की गई है.
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी के अनुसार धनतेरस के शुभ मुहूर्त:
तिथि - 2 नवंबर 2021, मंगलवार
इस साल धनतेरस के दिन सुबह सूर्योदय से लेकर रात के 08:35 बजे तक खरीदी के लिए शुभ समय रहेगा. धनतेरस पर पुष्कर और सिद्ध योग रहेगा, जो कि बेहद शुभ रहता है. इस योग में  खरीदारी करना अति उत्तम माना गया है. इसके अलावा भी खरीदारी के लिए 5 अति शुभ मुहूर्त रहेंगे.
चर लग्न - सुबह 8.46 बजे से 10.10 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11.11 बजे से 11.56 बजे तक
अमृत मुहूर्त - दोपहर 11.33 बजे से 12.56 बजे तक
शुभ योग - दोपहर 2.20 बजे से 3.43 बजे तक
वृष लग्न - शाम 6.18 बजे से रात 8.14 बजे तक
वहीं धनतेरस की पूजा करने के लिए शाम 06:00 बजे से रात 07:57 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. उपरोक्त में शुभ मुहूर्त में पूजन करने से धन, स्वास्थ्य व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है.
ज्योतिष विद्वान पंडित अतुल शास्त्री का कहना है धनतेरस के दिन प्रदोषकाल में यम को तिल तेल का दीपक घर के बाहर दक्षिण मुख कर रखने से काल-संकट, रोग, शोक, भय, दुर्घटना, मृत्यु से बचा जा सकता है। इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती हैं ।

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