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कछुओं की बड़ी खेप बरामद तस्कर गिरफ्तार


गोरखपुर वाया कोलकाता बंगलादेश भेजे जा रहे थे 426 कछुए

गोरखपुर। तस्करी कर गोरखपुर के रास्ते कोलकाता भेजे जा रहा 426 दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के साथ आरपीएफ जीआरपी सीआईबी की टीम ने कछुओं की खेप को गोरखपुर रेलवे स्टेशन से तस्कर के साथ किया गिरफ्तार।
गोरखपुर रेलवेस्टेशन से आरपीएफ जीआरपी सीआइबी
  की संयुक्त टीम  ने दुलर्भ प्रजातियों के कछुओं की तस्करी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने यहां रेलवे स्टेशन से एक तस्कर को गिरफ्तार किया है। उसके पास से दुलर्भ प्रजापति के कछुए काफी अधिक संख्या में बरामद हुए हैं। तस्कर इन कछुओं की खेप सुलतानपुर से लाकर गोरखपुर के रास्ते कोलकाता ले जा रहा था। जहां से इसे बंगलादेश भेजा जाना था।
जहां इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है और कुछओं के मांस को सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए खाया जाता है। 5- 6 बोरियों में भरकर तस्कर अभी रेलवे स्टेशन पर पहुंचा ही था कि इस बीच गोरखपुर टीम ने उसे दबोच लिया। पुलिस सभी आरोपी के खिलाफ GRP थाने में केस दर्ज कर कार्रवाई कर रही है। जबकि बरामद कछुए वन विभाग को सुपुर्द किए जा रहे हैं।
रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया तस्कर
दरअसल, रेलवे स्टेशन पर रूटीन की चेकिंग चल रही थी। इंस्पेक्टर जीआरपी उपेंद्र श्रीवास्तव और आरपीएफ इंस्पेक्टर राजेश सिन्हा चेकिंग कर रहे थे। इस बीच रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में एक संदिग्ध व्यक्ति 5- 6 बोरियों के साथ बैठा था। पुलिस को देखकर वह भागने लगा। लेकिन टीम ने दौड़ाकर उसे दबोच लिया। उसके पास कई गठरियां मौजूद थीं। तलाशी के दौरान जब पुलिस ने ग​ठरियों को खोलकर देखा तो वह दंग रही है। उनके दुलर्भ प्रजाति के एक-दो नहीं बल्कि 426 कुछए थे। पुलिस के मुताबिक एक-एक कछुओं का वजन करीब आधा से एक किलो बताया जा रहा है
कोलकाता में यह कछुए करीब 350 रुपए प्रति किलो के रेट से बिकते हैं।कुछओं की मिलती है मुंह मांगी कीमत पकड़े गए आरोपितों की सुलतानपुर कोतवाली के रहने वाले रवि कुमार के रुप में हुई। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह सुलतानपुर से इन कछुओं को 50 रुपए में खरीदकर रोडवेज की बस से गोरखपुर आया था। यहां से वह आटो पर सवार होकर रेलवे स्टेशन पहुंचा। जहां से वह पूर्वांचल एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर कोलकाता जाने की फिराक में था। कोलकाता में यह कछुए करीब 350 रुपए प्रति किलो के रेट से बिकते हैं। एक किलो में एक से दो पीस ही कछुआ आता है। जहां से बड़े गैंग इसे बंगलादेश भेज देते हैं।
तस्कर के मुताबिक विदेशों में इन कछुओं की काफी ​अधिक डिमांड होती है। ऐसे में इन कछओं के एवज में उन्हें इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है। आरोपितों ने यह भी खुलासा किया है कि कछुओं की तस्करी के पीछे एक बड़ा गैंग काम कर रहा है। जो अमेठी सुलतानपुर वाया गोरखपुर दुलर्भ कछुओं की खेप पहुंचाने का काम कर रहा है। पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही इस गैंग के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके लिए गंगा में पाए जाने वाले कछुओं को बेहतर माना जाता है। कछुओं की तस्करी का जाल बिहार यूपी बंगाल असम आदि राज्यों में फैला है। तस्करों द्वारा यहां से कछुओं की तस्करी कर बांग्लादेश थाईलैंड मलेशिया और चीन आदि देशों में इसे भेजा जाता है।
कछुओं की तस्करी में महिलाएं भी शामिल हैं। तस्करी में शामिल लोग कछुओं को एक से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करते हैं। इन लोगों को इस काम के लिए मजदूरी मिलती है। कछुओं की तस्करी में अमेठी और सुल्तानपुर का एक सक्रिय गैंग शामिल है। इस गैंग के सदस्य पहले भी कई बार पकड़े जा चुके हैं लेकिन इसके असल सरगना पुलिस की पकड़ से कोसों दूर हैं। यही वजह है कि मंगलवार को अमेठी से गोरखपुर से असम और बंगाल ले जाने के दौरान कछुओं की बड़ी खेप पकड़ी गई।
 इनका किनारे का हिस्सा शक्तिवर्धक दवाईयां बनाने के काम आता है। जबकि बीच का हिस्से का मांग खाया जाता हैं। साइड के हिस्सों की कीमत बंगाल व त्रिपुरा में 5 से 8 हजार रुपए प्रति किलो मिलती हैं जबकि थाईलैंड बंगलादेश मलेशिला व चीन में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो मिल जाती है। जबकि इसका मांस करीब 2 हजार रुपए किलो तक बिकता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांस की भी कीमत करीब 5 हजार रुपए किलो तक मिलती है।
जून 2021 में भी रेलवे स्टेशन से ही टीम ने 4 तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से तीन से चार किलो के 46 कछुए बरामद किए थे इससे पहले जून 2021 में भी रेलवे स्टेशन से ही टीम ने 4 तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से तीन से चार किलो के 46 कछुए बरामद किए थे। जबकि नंवबर 2018 में पूर्णिया में इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं की दो खेप पकड़ी गई थी। इनमें 337 कछुए बरामद हुए थे। इन कछुओं का वजन दो से लेकर 30 किलोग्राम तक था। इस काम में शामिल 10 तस्करों को गिरफ्तार किया गया था।
तस्करों ने बताया कि था गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से उन्हें पिकअप वैन के माध्यम से कछुओं को दालकोला (पश्चिम बंगाल) पहुंचाने को कहा गया था। डीएफओ गोरखपुर अविनाश कुमार ने बताया कि गंगा बेसिन में पाए जाने वाले सॉफ्ट शेल्ड कछुओं के कवच और हड्डियों से शक्तिव‌र्द्धक दवा बनाए जाने की बात सामने आ रही है। इसके मांस की भी मुंहमांगी कीमत मिलती है। इसलिए इनकी तस्करी हो रही है। हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


 

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