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मासूम परी को मिली आंखों के फिस्टूला से मुक्ति:5 सालों से आंखों के बगल से आ रहा था पानी, RBSK टीम की मदद से जिले में हुई पहली सर्जरी

 मासूम परी को मिली आंखों के फिस्टूला से मुक्ति:5 सालों से आंखों के बगल से आ रहा था पानी, RBSK टीम की मदद से जिले में हुई पहली सर्जरी



हम भारती न्यूज से गोरखपुर जिला ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


स्वस्थ्य होकर बुधवार को परी आरबीएसके टीम के अधिकारियों से पिता संग आकर मिली और धन्यवाद कहा।

गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक के तेनुआ निवासी 8 वर्षीय परी को आंखों के फिस्टूला बीमारी से आखिरकार मुक्ति मिल गई। दरअसल पिछले पांच वर्षों से परी की आंखों के बगल से पानी बहता था। जिसके बाद राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम परी को तलाश कर मेडिकल कॉलेज लाई। जहां 16 जून 2022 में उसकी सर्जरी हुई। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है। गोरखपुर जिले में फिस्टूला बीमारी की आरबीएसके योजना के तहत यह पहली सर्जरी है।


फैक्ट्री में मजदूर हैं परी के पिता

परी के पिता मोहन एक फैक्ट्री में कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले परी के आंखों के बगल से पानी निकलना शुरू हुआ। उसे आंखों के चिकित्सक को दिखाया लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी। हजारों रुपये इलाज में भी खर्च किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जून 2022 में आरबीएसके टीम गांव के प्राथमिक स्कूल पर पहुंची तो शिक्षिका ने बच्ची की बीमारी के बारे में टीम से चर्चा की। टीम ने परी की स्क्रिनिंग की।


जाने क्या है फिस्टूला बीमारी

टीम के चिकित्सक डॉ एसके वर्मा और डॉ पवन यादव का कहना है कि उन्हें आंखों की फिस्टूला के बारे में पहले ही ट्रेनिंग दी गई थी। यह बीमारी सामान्य रूप से शरीर के गुदा द्वार में होती है। लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी यह हो सकती है। इसमें गुदा ग्रंथियों में संक्रमण हो जाता है और गुदा पर फोड़ा बन जाता है। जिससे मवाद आने लगता है। फिस्टूला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है।


इसी प्रकार कैवरनस ड्यूरल आर्टीरियोवीनस फिस्टुला एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जिसकी समय से पहचान और इलाज आवश्यक है। अगर इलाज न हो तो मरीज की आंखें तक बाहर आ जाती हैं। परी इसी डिसआर्डर की शिकार थी।


15 जून से इलाज कराना शुरू हुआ था

मोहन ने बताया कि 15 जून को परी को पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुलाया गया।वहां से आरबीएसके की गाड़ी से पहले सदर अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाकर भर्ती करवा दिया गया। 16 जून को बच्ची की सर्जरी हुई और 17 जून को वह डिस्चार्ज हो गई। पूरी सुविधा निःशुल्क मिली और अब उसके आंखों की दिक्कत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।


योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि जिले में पहली बार फिस्टूला की सर्जरी योजना के तहत हुई है। योजना के तहत बच्चों के 44 प्रकार की बीमारियों का इलाज निःशुल्क कराया जाता है। इसका लाभ संस्थागत प्रसव वाले बच्चों, स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र जाने वाले बच्चों को मिलता है।


प्रत्येक ब्लॉक में दो टीम

सीएमओ डॉ आशुतोष दूबे ने बताया कि जिले के प्रत्येक ब्लॉक में आरबीएसके की दो टीम हैं। जो स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाती हैं। इस टीम से बच्चों का इलाज करवाने के लिए आशा कार्यकर्ता की भी मदद ली जा सकती है। टीम की मदद से बच्चों को निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलती है।

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