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तिरंगे के साए और भारत माता के जयघोष के बीच निकली सेना के जवान व्यास यादव की शव यात्रा

 तिरंगे के साए और भारत माता के जयघोष के बीच निकली सेना के जवान व्यास यादव की शव यात्रा



हम भारती न्यूज़ से गोरखपुर मण्डल ब्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

 

 गोरखपुर खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के गोसाईंपुर निवासी सेना के जवान व्यास यादव का अंबाला के सेना कैंप में हुआ था निधन अंबाला में तैनात सेना के जवान का शव शुक्रवार की दोपहर बाद उनके पैतृक गांव पहुंचा तो हाहाकार मच गया। हजारों ग्रामीणों की भीड़ कबीर के सपूत के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। तिरंगा के साए और भारत माता के जयकारे के बीच जवान व्यास यादव की शव यात्रा सेना के सजे वाहन से जब बिड़हर घाट के लिए रवाना हुई तो मौजूद हुजूम की आंखें नम हो उठी। कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के ग्राम गोसाईंपुर निवासी पारस नाथ यादव के 35 वर्षीय पुत्र व्यास यादव सेना में तैनात थे। इस समय व्यास यादव अंबाला में सेना कैंट में अपनी सेवा दे रहे थे।मृतक जवान व्यास यादव का शव लेकर गांव पहुंची सैन्य टुकड़ी के सीओ राजेश कुमार ने बताया कि गुरुवार की सुबह अचानक आए हर्ट अटैक के चलते व्यास यादव का निधन हो गया। सैनिक सम्मान के साथ शव को मृतक जवान के घर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। पत्नी प्रतिमा पति के शव से लिपट कर बेसुध हो उठी। पिता पारसनाथ बेटे के शव को देख मानो जड़वत से हो उठे। मां की आंखों के आंसू जैसे सूख गए थे। जवान व्यास यादव को अपना रोल मॉडल मान कर सेना की तैयारी कर रहे गांव और क्षेत्र के नौजवानों की पलकें भीगी नजर आई। हर तरफ से व्यास यादव अमर रहे, भारत माता की जय के नारे का शंखनाद गूंज रहा था। फूलों से सजे सैन्य वाहन पर अपने साथी के शव को संगीनोंं के साए में घेरे अंबाला से आए जवान दर्द से भरे मनोभावों के साथ मानो अपने साथी जवान को अंतिम विदाई देते हुए द्रवित हो रहे थे। पूर्व सैनिक संगठन के सदस्यों ने भी मृतक जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि दिया। सैनिक सम्मान के साथ सरयू नदी के तट पर बिड़हर घाट पर व्यास यादव अमर रहे के गूंजते नारों के बीच मृतक जवान के शव को पिता पारस नाथ यादव ने मुखग्नि दिया। बिड़हर घाट स्थित सरयू तट पर सैनिक सम्मान के बीच सेना के सीओ राजेश कुमार  ने श्रद्धांजलि देकर अंतिम सलामी दिया।  पिता के शव को निहारती रही 6 माह की अबोध बच्ची 12 वर्ष पूर्व व्यास यादव सेना में कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए थे। खेती करके जीवन यापन करने वाले पारसनाथ के तीन बेटों में व्यास सबसे बड़े थे। पत्नी प्रतिमा अपनी मासूम बेटी के साथ पति के घर लौटने की आस में बाट जोह रही थी। दोनो भाई विनोद और जगदीश भी भाई व्यास के छुट्टियों में घर आने पर खिल उठते थे। जब शुक्रवार की दोपहर बाद मृतक व्यास यादव का शव घर पहुंचा तो पिता और भाई टूट से गए तो पत्नी बेसुध नजर आई। पिता के शव को टकटकी लगाए मासूम को शायद यह भी नही पता था कि जिस उंगली को पकड़ कर वह चलना सीखती वह साया ही उसे हमेशा के लिए छोड़ गया। उनके निधन से समूचे क्षेत्र में शोक की लहर है।  मृतक जवान का शव गांव पहुंचने से पहले गांव और क्षेत्र के लोगों में उनके निधन के कारणों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। ऐसे में जब परिजनों और ग्रामीणों ने शव के सीने पर चीरे का निशान देखा तो वे भड़क गए। ग्रामीण जवान के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताने लगे। सीओ राजेश कुमार द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिखाने पर ग्रामीण शांत हुए।

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